Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Nov 2022 · 1 min read

सपने जब पलकों से मिलकर नींदें चुराती हैं, मुश्किल ख़्वाबों को भी, हक़ीक़त बनाकर दिखाती हैं।

वो रौशनी जो अंधेरों से छन कर आती है,
रूह को सुकून की सौग़ात देकर जाती है।
बारिशों के इंतज़ार में जब आँखें पथराती हैं,
तभी तो बूँदें भी कोपलों को रास आती हैं।
ये सुबह भी, कहाँ ऐसे हीं चली आती है,
रात की घनी चादर को चीर कर मुस्कुराती है।
हवाएँ जब आँधियाँ बनकर, क्षितिज़ से टकराती हैं,
तेरी खुशबू मेरे शहर तक, तभी तो साथ लाती है।
ये कदम ठोकरों से, हर पल खुद को बचाती है,
पर सही मायने में चलना, तो गिरकर हीं सीख पाती है।
सपने जब पलकों से मिलकर नींदें चुराती हैं,
मुश्किल ख़्वाबों को भी, हक़ीक़त बनाकर दिखाती हैं।
अच्छे वक़्त में विकल्पों से, दुनिया भले सज जाती है,
पर अपनों की पहचान, बुरे वक़्त का बवंडर हीं तो करवाती है।
अनवरत धोखों से विश्वास की नींव डगमगाती है,
पर आस्था की एक बूँद, उस पाषाण बने ईश्वर को भी जगा जाती है।

3 Likes · 2 Comments · 323 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Manisha Manjari
View all
You may also like:
यह कैसी विडंबना है, जहाँ सत्य का अभाव है, ताड़का की प्रवृत्त
यह कैसी विडंबना है, जहाँ सत्य का अभाव है, ताड़का की प्रवृत्त
पूर्वार्थ
छिपे दुश्मन
छिपे दुश्मन
Dr. Rajeev Jain
हम पर कष्ट भारी आ गए
हम पर कष्ट भारी आ गए
Shivkumar Bilagrami
जनता
जनता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
I want to tell them, they exist!!
I want to tell them, they exist!!
Rachana
" लालसा "
Dr. Kishan tandon kranti
मनुष्य
मनुष्य
Sanjay ' शून्य'
फलानी ने फलाने को फलां के साथ देखा है।
फलानी ने फलाने को फलां के साथ देखा है।
Manoj Mahato
ये प्यार की है बातें, सुनलों जरा सुनाउँ !
ये प्यार की है बातें, सुनलों जरा सुनाउँ !
DrLakshman Jha Parimal
चन्द्रयान 3
चन्द्रयान 3
Neha
मेंने बांधे हैं ख्बाव,
मेंने बांधे हैं ख्बाव,
Sunil Maheshwari
आजमाइश
आजमाइश
Suraj Mehra
- शेखर सिंह
- शेखर सिंह
शेखर सिंह
शोर है दिल में कई
शोर है दिल में कई
Mamta Rani
■ स्वयं पर संयम लाभप्रद।
■ स्वयं पर संयम लाभप्रद।
*प्रणय प्रभात*
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का तीसरा वर्ष (1961 - 62 )*
*सहकारी-युग हिंदी साप्ताहिक का तीसरा वर्ष (1961 - 62 )*
Ravi Prakash
जज़्बात-ए-इश्क़
जज़्बात-ए-इश्क़
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
जश्न आजादी का ....!!!
जश्न आजादी का ....!!!
Kanchan Khanna
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
मनवा मन की कब सुने, करता इच्छित काम ।
sushil sarna
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
Rekha khichi
किसी के प्रति बहुल प्रेम भी
किसी के प्रति बहुल प्रेम भी
Ajit Kumar "Karn"
स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
Paras Nath Jha
बाढ़
बाढ़
Dr.Pratibha Prakash
आदर्श शिक्षक
आदर्श शिक्षक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
*शीतल शोभन है नदिया की धारा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गुजिश्ता साल तेरा हाथ, मेरे हाथ में था
गुजिश्ता साल तेरा हाथ, मेरे हाथ में था
Shweta Soni
सीख
सीख
Ashwani Kumar Jaiswal
3376⚘ *पूर्णिका* ⚘
3376⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
कुछ शब्द
कुछ शब्द
Vivek saswat Shukla
Loading...