Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Oct 2023 · 3 min read

सत्याग्रह और उग्रता

सत्याग्रह और उग्रता—-

भारत ने ब्रिटिश औपनिवेश से मुक्ति के लिए पूरे नब्बे वर्षो तक संघर्ष किया इस दौर में नए नए विचार धाराएं एव आंदोलन के बिभिन्न सिद्धांतो ने अवधारणा कि वास्तविकता के धरातल पर वास्तविक अस्तित्व को प्राप्त किया ।

मोहन दास कर्म चन्द्र गांधी जी ने भारत कि आजादी कि लड़ाई हेतु भारतीय जन मानस को एकत्र किया और नेतृत्व प्रदान किया साथ ही साथ महात्मा बापू आदि भूषण विभूषण से राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर तक प्रतिस्थापित हूए उन्हें बापूऔर महात्मा बनाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान उनके द्वारा संघर्ष के नए सिंद्धान्त सत्याग्रह को ही जाता है।

सत्य का आग्रह अहिंसा के मार्ग से बापू का यह सिंद्धान्त कितना कारगर रहा आज भी विचारणीय विषय है ।

लेकिन भारत कि आजादी के बाद भारत मे आंदोलनों ने महात्मा गांधी जी के सिंद्धान्त को आत्म साथ किया अंगीकार कर लिया विशेष कर संस्थाओं के मजदूर संगठनों ने आजादी के बाद महात्मा के सत्याग्रह एव अहिंसा के सिंद्धान्त पर अनेको आंदोलन किए जिसमे महात्मा के मूल अवधरणा सत्य एव अहिंसा ही आंदोलन कि आत्मा हुआ करती थी लेकिन कानपुर के एक मजदूर आंदोलन ने पूरे भारत मे महात्मा के सत्य अहिंसा के सत्याग्रह सिंद्धान्त का अर्थ ही बदल दिया आंदोलनकारियों एव शासन प्रशासन दोनों के लिए ।

कानपुर को उत्तर प्रदेश के मैनचेस्टर का दर्जा प्राप्त था कानपुर का कपड़ा उद्योग एव चमड़ा उद्योग देश प्रदेश कि अर्थ व्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण योगदान करता था कानपुर मजदूरों का शहर था एव राजनीति में भी मजदूर समर्थकों का ही वर्चस्व रहता था कम्युनिस्ट पार्टी के एस एम बनर्जी बीस वर्षों तक कानपुर का संसद में प्रतिनिधित्व करते रहे लेकिन एक सत्याग्रह के हिंसा में बदलने के कारण कानपुर कि राजनीतिक आर्थिक व्यवस्था को बहुत शांत तरीके से बदल कर रख दिया जिसका परिणाम वर्तमान पीढ़ी भुगत रही है जिसकी कल्पना आज भी शायद ही कोई कर सकता है ।

कानपुर में बहुत बड़ी कपड़े कि मिल थी स्वदेशी कॉटन मिल जिसमे हज़ारों मजदूर कर्मचारी अधिकारी काम करते थे लाखो लोगो की रोजी रोटी का माध्यम हुआ करती थी स्वदेशी कॉटन मिल ।

मिल मजदूरों में कम्युनिस्ट विचारधारा के संगठनों का वर्चस्व हुआ करता था ।

मजदूर अक्सर अपनी मांगों को कम्युनिस्ट नेतृत्व में एकत्र होकर उठाते मजदूरों कि राजनीति में बहुत से दुखद सुखद पड़ाव आये गए लेकिन जिस एक घटना ने महात्मा गांधी सत्य अहिंसा एव सत्यग्रह का अर्थ ही बदल कर रख दिया ।

स्वदेशी कॉटन मिल के मजदूर अपनी मांगों को लेकर आंदोलित होते रहते थे और आंदोलन के माध्यम से मिल मॉलिक से अपनी मांगों को मनवाने के लिए दृढ़ रहते थे आंदोलन होते और समाप्त होते ।

एक आंदोलन ऐसा भी हुआ जिसने समय एव इतिहास के समक्ष अनेको प्रश्न खड़े कर दिए स्वदेशी कॉटन मिल के मजदूर अपनी मांगों के लिए आंदोलन करते इतने उग्र हो गए कि उन्होंने दो अधिकारी आयंकर एव शर्मा जी को सुजा घोंप घोंप कर मारने कि कोशिश की और जब इस पर भी दोनों नही मरे तब दोनों अधिकारियों को जिंदा ब्यालर में झोंक दिया ।

इस घटना ने महात्मा गांधी के सत्याग्रह के अहिंशावादी सिंद्धान्त को ही धूल धुसित कर दिया जिसका प्रभाव बाद में बहुत गंभीर पड़ा बाद में होने वाले आंदोलनों से निपटने के लिए प्रशासन ने भी कठोर रुख अख्तियार करना शुरू कर दिया परिणाम स्वरूप अनेको आद्योगिक मजदूर आंदोलनों में प्रसाशनिक एव मजदूर झड़पो में जन हानि एव सरकारी संपत्ति कि हानि हुई पूर्वांचल के चीनी उद्योग पर भी इस घटना का प्रभाव दिखा बस्ती मुंडेरवा आदि इसी नई आंदोलन उग्रता के शिकार हुए।

उससे पूर्व जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति के युवा आंदोलन में उग्रता नही सत्याग्रह अहिंसा महात्मा का सिंद्धान्त ही कारगर हुआ।

समय कभी कभी ऐसे शांत परिवर्तन का आवाहन कर देता है जिसके परिणाम भी उस मूल परिवर्तन कारी घटना को स्मरण नही करते है।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।

Language: Hindi
1 Like · 163 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all
You may also like:
तन्हाई
तन्हाई
ओसमणी साहू 'ओश'
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
किताबों में झुके सिर दुनिया में हमेशा ऊठे रहते हैं l
किताबों में झुके सिर दुनिया में हमेशा ऊठे रहते हैं l
Ranjeet kumar patre
त्योहार का आनंद
त्योहार का आनंद
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हम भी कहीं न कहीं यूं तन्हा मिले तुझे
हम भी कहीं न कहीं यूं तन्हा मिले तुझे
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुम बिन जाएं कहां
तुम बिन जाएं कहां
Surinder blackpen
4207💐 *पूर्णिका* 💐
4207💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
सदा दे रहे
सदा दे रहे
अंसार एटवी
विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस
Neeraj Agarwal
तेरे सिंदूर की शहादत का, दर्द नहीं मिट रहे हैं…
तेरे सिंदूर की शहादत का, दर्द नहीं मिट रहे हैं…
Anand Kumar
मदहोशियां कहाँ ले जाएंगी क्या मालूम
मदहोशियां कहाँ ले जाएंगी क्या मालूम
VINOD CHAUHAN
"प्रेम"
शेखर सिंह
किस किस्से का जिक्र
किस किस्से का जिक्र
Bodhisatva kastooriya
जिन्दगी में बरताव हर तरह से होगा, तुम अपने संस्कारों पर अड़े
जिन्दगी में बरताव हर तरह से होगा, तुम अपने संस्कारों पर अड़े
Lokesh Sharma
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
बस फेर है नज़र का हर कली की एक अपनी ही बेकली है
Atul "Krishn"
गुरु ही वर्ण गुरु ही संवाद ?🙏🙏
गुरु ही वर्ण गुरु ही संवाद ?🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
💐 *दोहा निवेदन*💐
💐 *दोहा निवेदन*💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
नज़र मिला के क्या नजरें झुका लिया तूने।
नज़र मिला के क्या नजरें झुका लिया तूने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
Suryakant Dwivedi
मनीआर्डर से ज्याद...
मनीआर्डर से ज्याद...
Amulyaa Ratan
कफन
कफन
Kanchan Khanna
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
Writer_ermkumar
ये कमाल हिन्दोस्ताँ का है
ये कमाल हिन्दोस्ताँ का है
अरशद रसूल बदायूंनी
..
..
*प्रणय प्रभात*
कविता की महत्ता।
कविता की महत्ता।
Rj Anand Prajapati
भोर सुनहरी
भोर सुनहरी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
Vindhya Prakash Mishra
Life through the window during lockdown
Life through the window during lockdown
ASHISH KUMAR SINGH
Loading...