सच मेरा शक आज, सच में बदल गया

सच मेरा शक आज, सच में बदल गया।
फिदा तुमपे दिल यह, सच में बदल गया।।
सच मेरा शक आज————————।।
देखा नहीं था दाग, तेरे दामन पे कोई।
माना नहीं था दोष, तेरे रहन में कोई।।
कोई साथ तुम्हारे, देखा है मैंने जब।
विश्वास आज तुमपे, सच में बदल गया।।
सच मेरा शक आज——————–।।
पाकीज़ा समझकर,तुम्हें दिल दिया था।
समझकर तुम्हें देवी,तुम्हें प्यार किया था।।
बहुत नाज तुम पर, करता था अब तक।
तुम्हें देख दलदल में, सच में बदल गया।।
सच मेरा शक आज———————।।
ख्वाब तुमको बनाया, तुम्हें मान अपना।
तुमको सींचा लहू से,गुलशन मान अपना।।
मानकर तुमको दीपक, मैंने रोशन किया।
मगरूर तुमको देखकर, सच में बदल गया।।
सच मेरा शक आज———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)