सच की पेशी

झूठ के सामने
आ गया सच
झूठ ने अंगड़ाई ली
सच की हँसाई हुई
झूठ पर आवरण था
सच का व्याकरण था
झूठ ने साबित कर दिया
सच झूठा है…
मेरी प्रतिष्ठा देख
खुद से रूठा है..
सच ने साक्ष्य दिये..
झूठ ने झुठला दिये
वकीलों ने साबित कर दिया
सच झूठा है…
भला, आज किसी ने उसे
कहीं देखा है…
अरे!!
झूठ और सच में
यही तो फ़र्क है..
ख़राब मिठाई पर
चाँदी का वर्क है।।
यहाँ बस..
एक ही सच्चाई है
आज मेरी,
कल तेरी विदाई है।।
सूर्यकांत