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4 Mar 2024 · 1 min read

सच्ची होली

सच्ची होली
—————

तन रॅंगा बहुतों ने
मन जो रॅंगे
तब हो सच्ची होली।

बेशक ! कपड़े- लत्ते न भींगे
जब मन भींगे
तब हो सच्ची होली ।

जात-पात का भेद मिटे
ऊंच-नीच का भाव हटे
तब हो सच्ची होली ।

लाल -गुलाल सा
हर हृदय रंगे और मॅंहके
तब हो सच्ची होली ।

मन में द्वेष, बैर -भाव जो रहा भरा
फिर कोरी की कोरी होली
हृदय से हृदय जो रंग जाये
तब हो सच्ची होली ।

– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, पोस्ट तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश 283111
मो. 9456994678

Language: Hindi
99 Views
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