Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Aug 2016 · 1 min read

सच्चाई रोने लगी

सच्चाई रोने लगी, हँसता देखा झूठ।
फिर भी सबकुछ जानकर, बने खड़े हैं ठूँठ।।

बने खड़े हैं ठूँठ, हृदय में चोर भया है।
मानुष का व्यवहार, पतन की ओर गया है।।

बेटा मारे बाप, और भाई को भाई।
पैसा है भगवान, यही कड़वी सच्चाई।।

विवेक प्रजापति ‘विवेक’

1 Like · 538 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
भगिनि निवेदिता
भगिनि निवेदिता
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वो नाकामी के हजार बहाने गिनाते रहे
वो नाकामी के हजार बहाने गिनाते रहे
नूरफातिमा खातून नूरी
किसी बच्चे की हँसी देखकर
किसी बच्चे की हँसी देखकर
ruby kumari
अहंकार
अहंकार
Bindesh kumar jha
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
आने वाले सभी अभियान सफलता का इतिहास रचेँ
आने वाले सभी अभियान सफलता का इतिहास रचेँ
इंजी. संजय श्रीवास्तव
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
कवि दीपक बवेजा
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है (मुक्तक)*
*सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
गर्मी
गर्मी
Dhirendra Singh
हिंदी दिवस पर राष्ट्राभिनंदन
हिंदी दिवस पर राष्ट्राभिनंदन
Seema gupta,Alwar
दोहा त्रयी . . . .
दोहा त्रयी . . . .
sushil sarna
****बारिश की बूंदें****
****बारिश की बूंदें****
Kavita Chouhan
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
चन्द्रयान-3
चन्द्रयान-3
कार्तिक नितिन शर्मा
जंग अहम की
जंग अहम की
Mamta Singh Devaa
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
पूर्वार्थ
कुंडलिया
कुंडलिया
गुमनाम 'बाबा'
आत्मा
आत्मा
राधेश्याम "रागी"
तीन बुंदेली दोहा- #किवरिया / #किवरियाँ
तीन बुंदेली दोहा- #किवरिया / #किवरियाँ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
शरद पूर्णिमा पर्व है,
शरद पूर्णिमा पर्व है,
Satish Srijan
इश्क चाँद पर जाया करता है
इश्क चाँद पर जाया करता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
विनती मेरी माँ
विनती मेरी माँ
Basant Bhagawan Roy
3257.*पूर्णिका*
3257.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कभी तो फिर मिलो
कभी तो फिर मिलो
Davina Amar Thakral
जब हमें तुमसे मोहब्बत ही नहीं है,
जब हमें तुमसे मोहब्बत ही नहीं है,
Dr. Man Mohan Krishna
एक छोटी सी मुस्कान के साथ आगे कदम बढाते है
एक छोटी सी मुस्कान के साथ आगे कदम बढाते है
Karuna Goswami
सफलता की ओर
सफलता की ओर
Vandna Thakur
🙅एक ही राय🙅
🙅एक ही राय🙅
*प्रणय प्रभात*
पितृपक्ष
पितृपक्ष
Neeraj Agarwal
Loading...