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28 Jun 2022 · 1 min read

सच्चाई का मार्ग

सच्चाई का मार्ग भव में
होता बड़ा ही क्लेशप्रद
इस पथ, डगर पे चलना
सबों की बस की वार्ता
न इस अतुल जहां में
कैसो कैसो को यहां
इस पंथ पर चलने में
श्रमसीकर छूट जाती
इस पर अर्थगर्भित तो
हजारों लाखों आएंगी
जो इन पर पाया विजय
उन्हीं को मिलती शिखर ।

सच्चाई का मार्ग सतत ही
होता आया कंटकाकीर्ण
बहुधा मानुष चंद धन हेतु
अपनाते निंद्य, त्याज्य राहें
पर इसी मार्ग पे ही चलते
जो इस उत्कृष्ट खलक में
उसको उसके करतूतों का
लाजिमी ही मिलता फल
निकृष्ट से संग होता मंदा
नायाब के संग तो उमदा
अतः सतत चले जग में
सच्चाई के मार्ग पर यहां ।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 304 Views
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