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17 Aug 2024 · 1 min read

सच,मैं यह सच कह रहा हूँ

सच, मैं यह सच कह रहा हूँ ,
वह मासूम चेहरा,
जो खड़ा है मेरे सामने,
कल वह उस छत के नीचे,
कुलबुला रहा था।

मेरी तब गलती यह थी,
कि मैंने दो आत्माओं को मिलाया था,
मगर आज वही आत्मा,
यहाँ क्यों खामोश है ?
जब कल वह मांगती थी मुझसे,
याचना में अपना जीवन।

मैंने देखी थी अपनी आँखों से,
उस चेहरे पर एक बेबसी,
शायद वह सब तरफ से निराश था,
शायद ऐसा ही आज भी हो,
कि रह गया हो अधूरा,
उसका कोई सपना फिर से।

इसलिए बेचैन है वह आज भी,
इसी पूरी उम्मीद से,
कि उसका सपना साकार हो,
सच, मैं यह सच कह रहा हूँ।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
56 Views
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