*”संभव”*
*संभव*
प्रातःकाल,
पसरा सन्नाटा,
सूनी हैं सड़कें,
सहमे लोग,
असुरक्षित।
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विश्व ,
संकट में,
जूझ रहा है,
कोई हल,
निकाले।
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वायरस ,
केरोना आया,
विपदा का साया,
कोहराम मचा,
विश्वधार।
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मानव,
हाथ जोड़कर,
ईश्वर आराधना में,
संकट टलेगा,
सम्भवतः।
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*शशिकला व्यास*✍