Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2023 · 1 min read

श्याम अपना मान तुझे,

श्याम अपना मान तुझे,
होली खेलूँ तेरे संग मैं,
बनु मैं राधा तेरी,
रंग जाऊँ तेरे रंग मैं।

5 Likes · 2 Comments · 70 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
नवसंवत्सर लेकर आया , नव उमंग उत्साह नव स्पंदन
नवसंवत्सर लेकर आया , नव उमंग उत्साह नव स्पंदन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Ek galti har roj kar rhe hai hum,
Ek galti har roj kar rhe hai hum,
Sakshi Tripathi
2319.पूर्णिका
2319.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बाबा साहब की अंतरात्मा
बाबा साहब की अंतरात्मा
जय लगन कुमार हैप्पी
अतीत का गौरव गान
अतीत का गौरव गान
Shekhar Chandra Mitra
ग्रीष्म ऋतु भाग ३
ग्रीष्म ऋतु भाग ३
Vishnu Prasad 'panchotiya'
■ एक नारा, एक दोहा-
■ एक नारा, एक दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
ज़ब्त की जिसमें
ज़ब्त की जिसमें
Dr fauzia Naseem shad
चांद निकला है तुम्हे देखने के लिए
चांद निकला है तुम्हे देखने के लिए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
*
*
Rashmi Sanjay
तुम खेलते रहे बाज़ी, जीत के जूनून में
तुम खेलते रहे बाज़ी, जीत के जूनून में
Namrata Sona
तब घर याद आता है
तब घर याद आता है
कवि दीपक बवेजा
*होइही सोइ जो राम रची राखा*
*होइही सोइ जो राम रची राखा*
Shashi kala vyas
एक फूल....
एक फूल....
Awadhesh Kumar Singh
सौंधी सौंधी महक मेरे मिट्टी की इस बदन में घुली है
सौंधी सौंधी महक मेरे मिट्टी की इस बदन में घुली है
'अशांत' शेखर
पेड़ से कौन बाते करता है ।
पेड़ से कौन बाते करता है ।
Buddha Prakash
स्वाभिमान
स्वाभिमान
Shyam Sundar Subramanian
मां सुमन.. प्रिय पापा.👨‍👩‍👦‍👦.
मां सुमन.. प्रिय पापा.👨‍👩‍👦‍👦.
Ms.Ankit Halke jha
सबको नित उलझाये रहता।।
सबको नित उलझाये रहता।।
Rambali Mishra
নির্মল নিশ্চল হৃদয় পল্লবিত আত্মজ্ঞান হোক
নির্মল নিশ্চল হৃদয় পল্লবিত আত্মজ্ঞান হোক
Sakhawat Jisan
रंग बदलते बहरूपिये इंसान को शायद यह एहसास बिलकुल भी नहीं होत
रंग बदलते बहरूपिये इंसान को शायद यह एहसास बिलकुल भी नहीं होत
Seema Verma
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
पीर पराई
पीर पराई
Satish Srijan
एक फूल की हत्या
एक फूल की हत्या
Minal Aggarwal
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
💐 Prodigy Love-33💐
💐 Prodigy Love-33💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
खेल रहे अब लोग सब, सिर्फ स्वार्थ का खेल।
खेल रहे अब लोग सब, सिर्फ स्वार्थ का खेल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
स्वागत हे ऋतुराज (कुंडलिया)
स्वागत हे ऋतुराज (कुंडलिया)
Ravi Prakash
Qata
Qata
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दुनिया मेरे हिसाब से, छोटी थी
दुनिया मेरे हिसाब से, छोटी थी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...