🇮🇳हमारे बूढ़ पुरनिया एक कहावत कहते थे।❤️ जो बचपन में बहुत सु
मदांध सत्ता को तब आती है समझ, जब विवेकी जनता देती है सबक़। मि
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
यही मेरे दिल में ख्याल चल रहा है तुम मुझसे ख़फ़ा हो या मैं खुद
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
दशरथ के ऑंगन में देखो, नाम गूॅंजता राम है (गीत)
ऐसे रुखसत तुम होकर, जावो नहीं हमसे दूर
मैंने क्या कुछ नहीं किया !
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
तू फिर से याद आने लगी मुझको।।
"मेरे पाले में रखा कुछ नहीं"
आंख से मत कुरेद तस्वीरें - संदीप ठाकुर
"कर्म में कोई कोताही ना करें"
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर