Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Aug 2020 · 1 min read

शीर्षक-मैंने पढ़ है किताबों में

मैंने पढ़ा है किताबों में
सत्यमेव जयते लेकिन
नहीं होता यकीं उन किताबों पर
आज के हालातों को देखकर
चंद पैसों से दबा दिया जाता है,सच
और खड़े कर दिए जाते है
गवाह,सच के खिलाफ
इंसाफ की लड़ाई में
बेबस दिखाई पड़ता है,सच
खड़ी रहती है कचहरी में
आंखों में पट्टी बांधे न्याय की मूर्ति
जो सुनती है सब कुछ
लेकिन धारण कर लेती है मौन
शायद वह जानती है,सबकुछ
भूपेंद्र रावत
8।08।2020

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 266 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Bhupendra Rawat
View all
You may also like:
मेरी ज़िंदगी की खुशियां
मेरी ज़िंदगी की खुशियां
Dr fauzia Naseem shad
दशरथ माँझी संग हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
दशरथ माँझी संग हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
तुझे ढूंढने निकली तो, खाली हाथ लौटी मैं।
तुझे ढूंढने निकली तो, खाली हाथ लौटी मैं।
Manisha Manjari
पर्यावरण प्रतिभाग
पर्यावरण प्रतिभाग
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
#देकर_दगा_सभी_को_नित_खा_रहे_मलाई......!!
#देकर_दगा_सभी_को_नित_खा_रहे_मलाई......!!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
Wakt ke girewan ko khich kar
Wakt ke girewan ko khich kar
Sakshi Tripathi
बनेड़ा रै इतिहास री इक झिळक.............
बनेड़ा रै इतिहास री इक झिळक.............
लक्की सिंह चौहान
💐अज्ञात के प्रति-87💐
💐अज्ञात के प्रति-87💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हे आदमी, क्यों समझदार होकर भी, नासमझी कर रहे हो?
हे आदमी, क्यों समझदार होकर भी, नासमझी कर रहे हो?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मौन तपधारी तपाधिन सा लगता है।
मौन तपधारी तपाधिन सा लगता है।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*ध्वजा मनुजतावादी थी फहराई (मुक्तक)*
*ध्वजा मनुजतावादी थी फहराई (मुक्तक)*
Ravi Prakash
मेरा गांव
मेरा गांव
Anil "Aadarsh"
मेरे हर शब्द की स्याही है तू..
मेरे हर शब्द की स्याही है तू..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जिन सपनों को पाने के लिए किसी के साथ छल करना पड़े वैसे सपने
जिन सपनों को पाने के लिए किसी के साथ छल करना पड़े वैसे सपने
Paras Nath Jha
हिन्दी दोहा बिषय- तारे
हिन्दी दोहा बिषय- तारे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
शायरी संग्रह
शायरी संग्रह
श्याम सिंह बिष्ट
हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
Aditya Prakash
सिर्फ लिखती नही कविता,कलम को कागज़ पर चलाने के लिए //
सिर्फ लिखती नही कविता,कलम को कागज़ पर चलाने के लिए //
गुप्तरत्न
क्या कहें?
क्या कहें?
Srishty Bansal
पैसे की महिमा
पैसे की महिमा
Ram Krishan Rastogi
कहां है, शिक्षक का वह सम्मान जिसका वो हकदार है।
कहां है, शिक्षक का वह सम्मान जिसका वो हकदार है।
Dushyant Kumar
मेरी ये जां।
मेरी ये जां।
Taj Mohammad
✍️आँखरी सफर✍️
✍️आँखरी सफर✍️
'अशांत' शेखर
*दूरंदेशी*
*दूरंदेशी*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बात चले
बात चले
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जो दिल के पास रहते हैं
जो दिल के पास रहते हैं
Ranjana Verma
दोहा में लय, समकल -विषमकल, दग्धाक्षर , जगण पर विचार , ( दोहा छंद में )
दोहा में लय, समकल -विषमकल, दग्धाक्षर , जगण पर विचार , ( दोहा छंद में )
Subhash Singhai
वज्रमणि
वज्रमणि
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...