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17 Jul 2022 · 1 min read

शिव और सावन

सावन शिव हुए अवतरित धरती पर
सावन में निज ससुराल गए
हुआ अर्घ्य और जलाभिषेक से स्वागत
भाँग – धतूरे से मलामाल हुए

मान्यता है के सावन में
बाबा आते ससुराल
यश, कीर्ति, धन, वैभव से
भक्तों का रखते खयाल

तप घोर किया था सावन में
मार्कण्डेय ने जीता था यम को
शिव कृपा करें इस सावन में
आदमी साधे निज संयम को

समुद्र मंथन हुआ था सावन में
रत्नो में था हलाहल निकला
विश्व का कल्याण हुआ
जब महादेव ने गरल निगला

शिव स्वयं हैं जल कहता है ये
सदियों से शिव का पुराण
शिव की प्रकृति समझ गए तो
नहीं चाहिए कोई प्रमाण

सावन में ही विष्णु प्रभु
होते योगनिद्रा में लीन
फिर प्रकृति संचालक के पद पर
शिव होतें हैं आसीन

सावन में बाबा की कृपा
सबपर बरसे अपरम्पार
बाबा ऐसे ही करते रहें
सकल जन का हरदम उद्धार
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
Tag: कविता
3 Likes · 4 Comments · 198 Views
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