Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Oct 2016 · 1 min read

शिखरिनी छंद( हाइकू ) जितेंद्रकमलआनंद: गुरु सकाश( पोस्ट७६)

शिखरिनी छंद:
——————
गुरु सकाश ( ध्यान )
करिए प्रात: शाम ।
पायें प्रकाश ।। १ ।।

अक्षराक्षर
शिखरिनी छंद है ।
सत्राहाक्षर ।।२ ।।

नहीं अलभ्य
परम पुरुष है ।
शुभ सुलभ्य ।।३ ।।

—– जितेन्द्रकमल आनंद

Language: Hindi
367 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

सपनों पर इंसान का,
सपनों पर इंसान का,
sushil sarna
गीत- लगे मीठी जिसे भी प्रेम की भाषा...
गीत- लगे मीठी जिसे भी प्रेम की भाषा...
आर.एस. 'प्रीतम'
हुस्न छलक जाता है ........
हुस्न छलक जाता है ........
Ghanshyam Poddar
दौलत से सिर्फ
दौलत से सिर्फ"सुविधाएं"मिलती है
नेताम आर सी
खिले फूलों में तुम्हें ,
खिले फूलों में तुम्हें ,
रुपेश कुमार
வாழ்க்கை நாடகம்
வாழ்க்கை நாடகம்
Shyam Sundar Subramanian
जला रहा हूँ ख़ुद को
जला रहा हूँ ख़ुद को
Akash Yadav
माॅं के पावन कदम
माॅं के पावन कदम
Harminder Kaur
नशीहतें आज भी बहुत देते हैं जमाने में रहने की
नशीहतें आज भी बहुत देते हैं जमाने में रहने की
शिव प्रताप लोधी
शेयर बाजार वाला प्यार
शेयर बाजार वाला प्यार
विकास शुक्ल
आज के जमाने में
आज के जमाने में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मृगतृष्णा 2
मृगतृष्णा 2
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तुम नादानं थे वक्त की,
तुम नादानं थे वक्त की,
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सच और झूँठ
सच और झूँठ
विजय कुमार अग्रवाल
मिट्टी का बदन हो गया है
मिट्टी का बदन हो गया है
Surinder blackpen
मुहब्बत क्या बला है
मुहब्बत क्या बला है
Arvind trivedi
😢लुप्त होती परम्परा😢
😢लुप्त होती परम्परा😢
*प्रणय*
कोशिशों  पर  यक़ी  करो  अपनी ,
कोशिशों पर यक़ी करो अपनी ,
Dr fauzia Naseem shad
फोटो डॉक्टर इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव
फोटो डॉक्टर इंजीनियर मनोज श्रीवास्तव
Manoj Shrivastava
ज़िंदगी को किस अंदाज़ में देखूॅं,
ज़िंदगी को किस अंदाज़ में देखूॅं,
Ajit Kumar "Karn"
राम ही बनाएंगे बिगड़े काम __
राम ही बनाएंगे बिगड़े काम __
Rajesh vyas
12. Dehumanised Beings
12. Dehumanised Beings
Ahtesham Ahmad
*ऋषि दयानंद युग-पुरुष हुए, उनको हम शीश झुकाते हैं (राधेश्याम
*ऋषि दयानंद युग-पुरुष हुए, उनको हम शीश झुकाते हैं (राधेश्याम
Ravi Prakash
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
सत्य कुमार प्रेमी
दर्पण
दर्पण
Sanjay Narayan
रमेशराज के शिक्षाप्रद बालगीत
रमेशराज के शिक्षाप्रद बालगीत
कवि रमेशराज
2606.पूर्णिका
2606.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आलस का आकार
आलस का आकार
पूर्वार्थ
The reflection of love
The reflection of love
Bidyadhar Mantry
खुरदरे हाथ
खुरदरे हाथ
आशा शैली
Loading...