शायद…

खुदाने बनाया नायाब नमूना
जैसे हो कोई खिलौना…!
जब चाहे…जैसे चाहे… चलाये उसे..!!
मृत्यु लोक की धरा पे छोड़ा उसे खुला..!
पहचान बनाई इंसान की…
पर…शायद कमी रह गई इंसानियत की…!!!!
खुदाने बनाया नायाब नमूना
जैसे हो कोई खिलौना…!
जब चाहे…जैसे चाहे… चलाये उसे..!!
मृत्यु लोक की धरा पे छोड़ा उसे खुला..!
पहचान बनाई इंसान की…
पर…शायद कमी रह गई इंसानियत की…!!!!