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1 Sep 2022 · 1 min read

शायद ये सांसे सिसक रही है

शायद ये सांसे सिसक रही है।
प्रियतम के लिए भटक रही हैं।।

प्रियतम अभी तक आए नही।
माथे की बिंदिया चटक रही है।।

हो न जाय कोई अब अनहोनी।
ये बात दिल में खटक रही है।।

मेरे सुहाग को कोई है खतरा।
ये मेरी चूड़ियां चटक रही है।।

आ जाए मेरे प्रियतम जल्दी।
जिनके जिंदगी निकट रही है।।

चल रही है मेरी अंतिम सांसे।
इसलिए गंगाजल सटक रही हैं।।

क्यों न आई मृत्यु अभी तक।
प्रीतम के लिए ये अटक रही है।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

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