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9 Feb 2022 · 1 min read

शहर के नवाब लगतें है…

इश्क तो है उनके दिलों में,,,
पर ज़माने में दिले यार ना मिलते है।।

जज्बात तो है उन दोनोँ में,,,
पर उनके कोई ख्याल ना मिलते है…

कहाँ पूंछे वो अपने सवाल,,,
कहीं पर ना उनको जवाब मिलते है…

आशिको को कहते है खराब,,,
पर हमको तो वो मजेदार लगते है…

शायद बीमार है वो ज्यादा ही,,,
देखो तो वो कितना बेहाल लगते है…

तुम उनकी बातों पे ना जाना,,,
वह तो हमेशा स्सी का सांप करते है…

घर मे नही है कुछ खाने को,,,
बातों में जैसे शहर के नवाब लगते है…

वक्त पर ले लिया करो हर चीज,,,
वरना बाद में फिर तो हाथ मलते है..

नौ नगद हमेशा अच्छे होते है,,,
बड़ी मुश्किल से तेरह उधार मिलते है…

ये मजदूर है बहुत ही मक्कार,,,
गर चले जाओ तो ना काम करते है…

उन्होंने जन्नत में बना लिये घर,,,
जो अपना सब गरीबों के नाम करते है…

पूंछकर उनको शर्मिन्दा ना करो,,,
वो तो जिंदगीं में बस आराम करते है…

शायद वो है बहुत गरीब,,,
तभी उनके बच्चे भी काम करते है।।

बन कर खुद में बड़े निकम्मे,,,
देखो तो शेरो-शायरी ताज करते है।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

1 Like · 2 Comments · 132 Views
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