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1 Mar 2023 · 1 min read

शरीक-ए-ग़म

उनकी आँखों के दरिया में हसरतों की कश्तियाँ डूबतीं – उभरतीं रहतीं है ,
उनके दिल में छुपे जज़्बों का मंज़र पेश
करतीं रहतीं हैं ,
सब्र की इंतिहा में बेकाबू हो अश्क की बूँदें बन बह निकलतीं हैं ,
ये बूँदे कभी सैलाब बन दामन भिगो जातीं है ,
न जाने क्यों ? उनके दर्दे दिल से ,
मेरे दिल में भी टीस सी उठती है ,
जो बेवजह मुझे बेचैन सी कर जाती है ,
शायद मेरे दिल से, उनके दिल तक,
कोई राह जाती है ,
जो मुझे उनका शरीक-ए-ग़म बनाती है।

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 238 Views
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