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11 Sep 2022 · 1 min read

शमशीर से क्या कटेगा जो ये जुबां काटती है।

शमशीर से क्या कटेगा जो ये जुबां काटती है।
खामोशी से छुप गयी सच्चाई इक बयां मांगती हैं।।1।।

तन्हा कब तक चले यूं अपनी परछाई के साथ।
ये जिदंगी हमारी सफर में इक हमनवां मांगती है।।2।।

खुदा किसी को भेज दे अपनी इस दुनियां में।
हिदायत पानेको ज़िंदगियां इक रहनुमां मांगती हैं।।3।।

कभी मायूस ना होना तुम खुदा की रहमतों से।
कब किसको क्या मिले जिन्दगी कहां जानती है।।4।।

यूं तो ना मिलेगी गुलामी की जंजीरों से रिहाई।
आजादी वतन की सरफरोशों का खून मांगती है।।5।।

हुस्ने चांद शिरकत करे बज्म में तो रौनक आए।
महफिले आशिकी मदहोशी का शमा मांगती है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

3 Likes · 4 Comments · 79 Views
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