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4 Jul 2023 · 1 min read

*शंकर जी (बाल कविता)*

शंकर जी (बाल कविता)

शंकर जी को शीश झुकाओ
इनके तप की महिमा गाओ
यह मंथन में विष पीते हैं
गरलकंठ होकर जीते हैं
गंगा इनके बल से आई
भारत-भू की हुई कमाई

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

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