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24 Dec 2022 · 1 min read

#व्यंग्य :–

#व्यंग्य :–
■ खयाल नेकी का…
【प्रणय प्रभात】
एक रोज़ दिल में नेक सलाह देने का ख़याल आया।
मैंने अपने अज़ीज़ पड़ौसी को जा कर समझाया।
लोग आपके घर की दीवार बिगाड़ रहे हैं और आप सो रहे हैं?
वो पलट कर बोले- पता है, मगर आप क्यों रो रहे हैं?
मुझे तो घर के अंदर रहना है। बाहरी दीवारों से क्या लेना-देना है?
मैं शर्म से ज़मीन में गढ़ गया।
मुफ़्त की सलाह देना भारी पड़ गया।
ग़लती थी सो सह गया।
अपमान का घूंट पीकर रह गया।
चाहता तो मंशा खोल देता।
चुप ना रह कर सब बोल देता।
माना कि दीवार मूक है,
मगर उस पर पड़ा थूक आख़िर थूक है।
पराए मुँह का उगला आपके अपने किरदार पर है।
आप समझते हैं कि गन्दगी केवल बाहरी दीवार पर है।
माना कि बाहर का कचरा घर के अंदर नहीं आएगा।
मगर राहगीर आपकी सभ्यता को लेकर ही धारणा बनाएगा।।
आपकी वाल पर दूसरे का माल,
कभी बवाल मचवाएगा।
तब इस बेपरवाही का हश्र आपको समझ आएगा।
दीवार आपकी है, इसे जी चाहे उससे सजवाओ।
हमें क्या पड़ी है, भाड़ में जाओ।।
【व्यंग्य के निशाने पर वो फेसबुकिए हैं, जिनकी वाल टेगासुरों की पोस्ट्स से भरी पड़ी है और जिन्हें अपने स्टेटस की कोई परवाह नहीं है】

Language: Hindi
1 Like · 262 Views
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