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14 May 2023 · 1 min read

वो भी तन्हा रहता है

मैं एक दरिया सा
बहता रहा किसीं
असीमित विशाल
समुंदर की आस में

मगर समुंदर भी
तन्हा था रात में
बिलकुल अकेला..
कोई नहीं था पास में

महान व्यक्तित्व
के साथ भी भीड़
तब तक ठहरती है
जब तक उसके साथ
सूरज सा उजाला होता है…

वर्ना समुंदर सा
‘वो भी तन्हा रहता है’
एक विशालकाय भीड़ में…

©® ‘अशांत’ शेखर
14/05/2023

177 Views
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