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27 Aug 2022 · 1 min read

वो कोरोना का क़हर भी याद आएगा

गुज़र जायेंगें ये हशीं पल,
पर वो खौफ़नाक मंजर भी साथ जाएगा,
मचायी थी जो तबाही,
वो कोरोना का क़हर भी याद आएगा।

किसी का घर वीरां,
किसी का आँगन सूना,
तो किसी का वो क्रुन्दन याद आएगा,

किसी की तड़प,
वो बचाने की जद्दोजहद,
तो किसी का वो पथराया सा चेहरा याद आएगा,

कितनों के लाल छीने,
कितनों की छीनी छाया,
जो आया था अभी दुनिया में,
उसको क्या दिखायेगा।

काल की गति,
हाय ये प्रगति,
क्या इन पहियों में ऐसे ही पिस जाएगा।

रहम कर ये ख़ुदा ,
बख्स दे इन मासूमों को,
क्या ऐसे ही खेल दिखायेगा।

निकाल इस भंवर से,
रंग फिर से भर दे खुशियों के,
घर हमारा तो,
दर तेरा भी जगमगायेगा।

@कुमार दीपक “मणि”
27/08/2022

Language: Hindi
Tag: कविता
4 Likes · 2 Comments · 90 Views
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