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12 Jul 2024 · 1 min read

वो कली हम फूल थे कचनार के।

ग़ज़ल

2122/2122/212
वो कली हम फूल थे कचनार के।
क्या सुहाने दिन थे अपने प्यार के।1

जीतना उनको है दुनियां मार के।
आ रहे हैं दिन‌ निकट संहार के।2

कुछ खुशी दे पाऊं उनको इसलिए,
जीत जाता हूॅं कभी मैं हार के।3

अपनी खुशियां ढूंढ लें हम सब अगर,
दूर हो जाएंगे गम संसार के।4

देश दुनियां के हुए है सच मगर,
हो नहीं पाए वो अपने यार के।5

मारने औ’र जीतने की जंग में,
लग रहे बाजार अब हथियार के।6

हर तरफ बरबादियाॅं लाचारियाॅं,
दिन कहां हैं प्यार के इजहार के। 7

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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