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8 Jul 2016 · 1 min read

वृद्धाश्रम

बूढ़ी आँखों से
बरसता है दर्द हर क्षण
रात के सन्नाटे मेः
जगमगाती स्मृतियों के बीच
बिखर बिखर जाता है मन
गीला तकिया टीस उठता है बार बार

मन में रह रह कर उफनती है
किलकारियों की नदी
मासूम शरारतों और तुतलाती बोली से
गूंज उठती है अकेली कोठरी
बिखरा मन कुछ और टूट जाता है

पूरी पूरी रात
झुर्रियों भरे चेहरे पर
आड़ी तिरछी रेखायें बनाते आंसू
तलाशते रहते हैं अपना अर्थ
बेहद उदास हो उठती है
वृद्धाश्रम के किनारे बहती नदी ।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 890 Views
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