Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2024 · 3 min read

वीर गाथा – डी के निवातिया

वीर गाथा
_____________

बहुत सुनी होंगी कहानिया रांझा और हीर की
आओ तुम्हे, आज सुनाये, गाथा एक वीर की
मर मिटते है जो, मातृभूमि पर हॅसते – हँसते
अँखियो में आंसू भरकर सुनाये गाथा वीर की !!

सीमा पर शहीद होने की खबर जब घर आई थी
सन्नाटा था पूरे गांव में शोक की लहर छाई थी
सुनकर दौड़ पड़ा था हर कोई जो जिस हाल में
चीत्कार की आवाज जब उसके घर से आई थी !

कैसा अनर्थ हुआ आज धरा पे कैसी विपदा आई थी
कल ही तो उसने जन्म दिन की खुशिया मनाई थी
इस हाल में तो ना वापस आना था प्यारे राजदुलारे
ऐसे तो न बिटिया ने घर आने की गुहार लगाईं थी !

सुनी थी जिसने भी ये खबर, ह्रदयाघात घना हुआ था
आँखों से बह रहे थे आंसू, सीना गर्व से तना हुआ था
भाग दौड़ में भी हो सकता सन्नाटा प्रथम बार ये देखा
पार्थिव शरीर आ रहा वीर का जो देश पर फ़ना हुआ था !

सैनिक दस्ते की अगवानी में आज आया था वीर
तिरंगे में लिपटकर आया था उसका पार्थिव शरीर
भीड़ भाड़ और गहमा गहमी ग़मगीन माहौल में
दर्शन करने को हर कोई आज हुआ जाता अधीर !!

क्षत विक्षत हुए शरीर को जब कांधो से उतारा गया
दर्शन को उमड़े समूह से एक एक कर पुकारा गया
बारी आयी जब सुत की, चीख उठा था वो नन्हा वीर
आह ! कितनी क्रूरता, बेदर्दी से पापा को मारा गया !!

रोती बिलखती बदहवास पत्नी की हालत बुरी थी
देखकर जाबांज का शव धड़ाम से धरा पे गिरी थी
लुट गया था पूर्ण संसार ये कैसी आफत की घड़ी
हाय रे ! नियति तूने ये कैसी किस्मत लिखी थी !!

रोते रोते व्यथा अपने मन कि वो सुनाने लगी
कल हुई थी बाते साजन से उन्हें दोहराने लगी
कह रहे थे चिंता न कर अकेला सब पर भारी हूँ
लौटना था, पर क्या इस हाल में, चिल्लाने लगी !!

इतनी भीड़ क्यों है, क्यों मम्मा रोती मुझे बताओ
आज आने वाले थे पापा कहाँ है मुझे भी मिलाओ
गोद उठाके बच्ची को जब देह के पास लाया गया
रुदन चीत्कार से कह उठी पापा मुझे गले लगाओ !!

देख हाल जिगर के टुकड़े का माँ से रहा न गया
स्तब्ध हुई थी काया, लबो से कुछ कहा न गया
मानो धरती फट गयी, आसमान भी झुक गया
छाती पीट बोली मेरा लाल बिना मिले चला गया !!

खबर मिलते ही ससुराल से बहना दौड़ी आई थी
किस बैरी ने दुनिया लूटी जो दुश्मनी निभाई थी
सुन बहन कि करुण पुकार तीनो लोक हिल गये
कहाँ गया वीर मेरे तूने कसम मेरी रक्षा कि खाई थी !!

एक कोने में बैठे बाप बेचारा का हाल बुरा था
हुआ जीवन में कौन पाप,कर ये मलाल रहा था
मै अभागा किस्मत का मारा क्यों जीवित हूँ
बूढ़े काँधे पे रख बेटे कि अर्थी बेहाल चला था !!

संभाल रहे थे सब मिलकर एक दूजे को अब कहा न जाये
हो रहा था गुणगान किस्से वीरता के सुन साँसे थम जाये
दुःख असहाय था, फिर भी गर्व सीने में हिलोरे मार रहा
निर्झर बहते मेरे भी नैना, किस्सा मुझ से कहा न जाये !!

आँखे रोती, मन भारी है, फिर भी सीना गर्व से फूले
धन्य हो जाये वो प्राणी, जो तुम्हारी चरण धूलि छूले
नमन धरती माता को, नमन है उस सूत जननी को
बार-बार अपनी कोख वारे तुझसा पूत जो आंगन झूले !!
!
!
!
डी के निवातिया !!

105 Views
Books from डी. के. निवातिया
View all

You may also like these posts

संविधान के पहरेदार
संविधान के पहरेदार
Shekhar Chandra Mitra
वीरमदे
वीरमदे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
अधूरी प्रीत से....
अधूरी प्रीत से....
sushil sarna
और हो जाती
और हो जाती
Arvind trivedi
यमराज का आफर
यमराज का आफर
Sudhir srivastava
बारिश की बूंदों ने।
बारिश की बूंदों ने।
Taj Mohammad
मन की गांठ
मन की गांठ
Sangeeta Beniwal
मैया का जगराता- भजन- रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
मैया का जगराता- भजन- रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
उन माताओं-बहिनों का मंहगाई सहित GST भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता,
उन माताओं-बहिनों का मंहगाई सहित GST भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता,
*प्रणय*
उत्पादन धर्म का
उत्पादन धर्म का
Arun Prasad
संभलकर
संभलकर
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
मुझे अकेले ही चलने दो ,यह है मेरा सफर
डॉ. दीपक बवेजा
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
सिद्धार्थ गोरखपुरी
क्या ग़ज़ब वाक़या हुआ
क्या ग़ज़ब वाक़या हुआ
हिमांशु Kulshrestha
"गुनाह कुबूल गए"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल _ खुशी में खुश भी रहो ,और कामना भी करो।
ग़ज़ल _ खुशी में खुश भी रहो ,और कामना भी करो।
Neelofar Khan
वाणी   को    रसदार   बना।
वाणी को रसदार बना।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रावण दहन
रावण दहन
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कुछ रिश्ते कांटों की तरह होते हैं
कुछ रिश्ते कांटों की तरह होते हैं
Chitra Bisht
संदली सी सांझ में, ज़हन सफ़ेद-कागज़ के नाव बनाये।
संदली सी सांझ में, ज़हन सफ़ेद-कागज़ के नाव बनाये।
Manisha Manjari
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
मैं तो हमेशा बस मुस्कुरा के चलता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
तुम
तुम
Dr.Pratibha Prakash
गोवा की सैर (कहानी)
गोवा की सैर (कहानी)
Ravi Prakash
दरमियान कुछ नहीं
दरमियान कुछ नहीं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ज़िंदगी कुछ नहीं हक़ीक़त में
ज़िंदगी कुछ नहीं हक़ीक़त में
Dr fauzia Naseem shad
राम अवतार
राम अवतार
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
2829. *पूर्णिका*
2829. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गीत- तुम्हारा साथ दे हरपल...
गीत- तुम्हारा साथ दे हरपल...
आर.एस. 'प्रीतम'
स्पेस
स्पेस
Meenakshi Bhatnagar
Loading...