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15 Jul 2016 · 1 min read

वीणा बोलती है

प्रीत ने छेेड़े जो दिल के तार वीणा बोलती है।
लग रहा संगीत मय संसार वीणा बोलती है।

थे दबे अरमान दिल में, शोर वो करने लगे हैं !
खुद कदम मेरे मुहब्बत की तरफ चलने लगे हैं!
बेखबर इतनी कि खुद की ही नहीं कोई खबर है!
धूप है या छाँव पड़ता ही नहीं इसका असर है!
भावनाओं में उठा है ज्वार वीणा बोलती है।
प्रीत ने छेड़े जो दिल के तार वीणा बोलती है।

मन सलोना जागते सपने लगा है पालने अब!
धड़कनों की ताल पर भीे ये लगा है नाचने अब!
भाव मन के कोरे कागज़ पर उतरने से लगे हैं!
गीत, कविता, गीतिका में आप ढलने से लगे हैं!
ढाल सुर में अब यही उदगार वीणा बोलती है ।
प्रीत ने छेड़े जो दिल के तार वीणा बोलती है ।

रात के आगोश में लिपटी लुभाती चाँदनी है !
कर रही मदहोश ऊपर से हवा मन भावनी है !
अब सताते ख्वाब में हैं रोज ही मनमीत आकर!
मुस्कुराती याद भी बीते पलों के गीत गाकर !
लग रहा सुन कर यही झंकार वीणा बोलती है ।
प्रीत ने छेड़े जो दिल के तार वीणा बोलती है ।

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 8 Comments · 479 Views
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