Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2023 · 1 min read

विश्वास का धागा

उधड़ रही है ये तुरपाई
संबंधों में है दूरी आई
विश्वास का धागा पड़ गया ढीला
जबसे है ये शक की सुई आई

जो कल तक लगता था अपना
उसकी एक पल अब याद न आई
पाकर जिसको कभी धन्य हुआ था
वो प्रीत भी अब हो गई पराई

हो गया इतना सबकुछ यारों
अब भी न हमको क्यों अक्ल न आई
जहां भी देखो आपस में लड़ते
मियां बीबी भाई भाई

कभी जो सोचें मिलकर हम सब
क्यों दिखती हमको सिर्फ बुराई
तुम भी वही हो हम भी वही हैं
फिर बीच में ये खाई कहां से आई

होता नहीं है विश्वास जहां पर
आ जाते हैं कितने स्वार्थ भाई
बचना उनसे फिर आसान नहीं
बन जाओगे उनके ग्रास भाई

न टूटने पाए ये धागा कभी भी
हो जीवन में कितनी भी उदासी छाई
मिलकर सबकुछ झेल जाओगे
विश्वास ने है सबको धूल चटाई

ये विश्वास तो है धुरी प्रेम की
जिससे जीवन में है बहार आई
होने न देना कम इसको तुम
बुजुर्गों ने है ये राह दिखाई।

7 Likes · 1 Comment · 2621 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
View all
You may also like:
उम्रभर
उम्रभर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
“ मोदी जी के पहले भारत ”
“ मोदी जी के पहले भारत ”
DrLakshman Jha Parimal
पंछी और पेड़
पंछी और पेड़
नन्दलाल सुथार "राही"
दोहा छन्द
दोहा छन्द
नाथ सोनांचली
*धूप में रक्त मेरा*
*धूप में रक्त मेरा*
सूर्यकांत द्विवेदी
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
आँखों में उसके बहते हुए धारे हैं,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
✍️कमाल ये है...✍️
✍️कमाल ये है...✍️
'अशांत' शेखर
एक दिया अनजान साथी के नाम
एक दिया अनजान साथी के नाम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दर्द: एक ग़म-ख़्वार
दर्द: एक ग़म-ख़्वार
Aditya Prakash
जिंदगी ये नहीं जिंदगी से वो थी
जिंदगी ये नहीं जिंदगी से वो थी
Abhishek Upadhyay
महफिल में छा गई।
महफिल में छा गई।
Taj Mohammad
कन्यादान क्यों और किसलिए [भाग६]
कन्यादान क्यों और किसलिए [भाग६]
Anamika Singh
जिज्ञासा
जिज्ञासा
Rj Anand Prajapati
परिदृश्य
परिदृश्य
Shyam Sundar Subramanian
गुरु महादेव रमेश गुरु है,
गुरु महादेव रमेश गुरु है,
Satish Srijan
मुरली कि धुन,
मुरली कि धुन,
Anil chobisa
#ग़ज़ल / #कुछ_दिन
#ग़ज़ल / #कुछ_दिन
*Author प्रणय प्रभात*
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ विश्व एक परिवार
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ विश्व एक परिवार
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
किसी नौजवान से
किसी नौजवान से
Shekhar Chandra Mitra
जूता
जूता
Ravi Prakash
सरकारी चिकित्सक
सरकारी चिकित्सक
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कत्ल करती उनकी गुफ्तगू
कत्ल करती उनकी गुफ्तगू
Surinder blackpen
कैसे जीने की फिर दुआ निकले
कैसे जीने की फिर दुआ निकले
Dr fauzia Naseem shad
ओ! चॅंद्रयान
ओ! चॅंद्रयान
kavita verma
गाऊँ तेरी महिमा का गान (हरिशयन एकादशी विशेष)
गाऊँ तेरी महिमा का गान (हरिशयन एकादशी विशेष)
डॉ.श्री रमण 'श्रीपद्'
राती घाटी
राती घाटी
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Pratibha Pandey
हे माधव
हे माधव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
गैर का होकर जिया
गैर का होकर जिया
Dr. Sunita Singh
सृष्टि रचयिता यंत्र अभियंता हो आप
सृष्टि रचयिता यंत्र अभियंता हो आप
Chaudhary Sonal
Loading...