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31 May 2016 · 1 min read

*विरह वेदना*

नयन मेरे निहारें पथ सुहाने गीत गाओ तुम
खिलें फिर फूल गुलशन में लगन ऐसी लगाओ तुम
सजा कर चाँदनी दिल में गये जाने कहाँ पर हो
अधर हैं सूर्य सम तपते सजन बन मेघ आओ तुम
धर्मेन्द्र अरोड़ा

Language: Hindi
1 Like · 787 Views
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