वाह ! डायबिटीज हो गई (हास्य व्यंग्य)

वाह ! डायबिटीज हो गई ( हास्य व्यंग्य )
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मुझे वे लोग अच्छे नहीं लगते जो डायबिटीज होते ही मुॅंह लटका कर बैठ जाते हैं। माथे पर हथेली रख ली। ऐसा लगता है जैसे सारी दुनिया के गम इन्हीं की झोली में आ गए हैं। अरे भाई ! भगवान ने कुछ दिया ही तो है ! डायबिटीज दी है तो उसे खुशी से सिर माथे पर लगा कर स्वीकार करो। लेकिन नहीं, आदमी की समझ में कब आता है?
मैं कहता हूॅं कि विपत्ति को अवसर में बदलने की कला सीखो। अब अगर डायबिटीज हो गई है तो इस बारे में विचार करो कि इसके माध्यम से तुम अपने घर की अर्थव्यवस्था में कितना योगदान दे सकते हो तथा कितनी बड़ी धनराशि बचत करके अपने पोतों – परपोतों को सौंप कर इस दुनिया से जा सकते हो।
उदाहरण के तौर पर सबसे पहली बात मैं चाय में चीनी छोड़ने की करता हूं । एक आदमी औसतन दिन में तीन बार चाय पीता है। अगर एक कप चाय में एक चम्मच चीनी बचाई तो इस तरह साल भर में लगभग एक हजार चम्मच चीनी घर की अर्थव्यवस्था में योगदान के रूप में दी जा सकती है । अगर थोड़ा और आगे बढ़ें और हम अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को सही तौर पर गम्भीरता से समझें तो मेरी राय है कि हमें चाय पीना ही छोड़ देना चाहिए । इससे बीस या तीस रुपए रोज की बचत हो सकती है। एक साल में यह धनराशि करीब करीब दस हजार रुपये हुई। अगर पचपन साल की उम्र में किसी को डायबिटीज हुई है और उसे अगले पच्चीस साल तक जीवित रहना है तो सोचो ढाई लाख की धनराशि तो वह व्यक्ति अपने परिवार के लिए केवल चाय छोड़कर ही छोड़कर चला जाएगा।
इसके बाद बचत के क्षेत्र में और महॅंगाई पर काबू पाने की दृष्टि से कुछ आगे की योजनाऍं भी डायबिटीज का मरीज खुशी-खुशी बना सकता है ।अगर आदमी मिठाई खाना छोड़ दे , मेरा मतलब है खरीद कर मिठाई खाना छोड़ दे , खरीद कर आइसक्रीम न खाए , खरीदकर चॉकलेट आदि न खाए तो एक मोटी रकम की बचत हो सकती है । अगर इस प्रकार से नियम पूर्वक व्यक्ति चॉकलेट, आइसक्रीम ,कोल्ड ड्रिंक आदि खाने- पीने की प्रवृत्ति का परित्याग कर दे तो दस-बीस लाख रुपए की धनराशि अपनों के लिए छोड़कर जाएगा। ऐसे ही लोगों को परिवार सदैव याद रखता है । यह थोड़े ही कि जितना कमाया, वह सब चॉकलेट और कोल्ड ड्रिंक में उड़ा दिया ।
अब डायबिटीज के दूसरे फायदों की तरफ हम विचार करते हैं। “सादा जीवन उच्च विचार” एक मुहावरा बन गया है । उच्च विचारों को तो छोड़िए , वह कोई जरूरी चीज नहीं होती । लेकिन आप अपने “सादा जीवन” को समाज में प्रचारित कर सकते हैं। कोई भी मिले तो आप कह सकते हैं कि हम तो केवल सूखी रोटी, दाल और सब्जी खाते हैं। न कोल्ड ड्रिंक पीते हैं, न चॉकलेट खाते हैं, न आइसक्रीम खाते हैं । मिठाई, केक ,पेस्ट्री आदि चीजों से हमारा दूर – दूर तक का कोई संबंध नहीं है । लोग आपको “सादा जीवन” की प्रतिमूर्ति मानना शुरू कर देंगे और आपके सादा जीवन की चर्चा चारों तरफ फैलने लगेगी। फिर बाद में मुहावरे की तरह “उच्च विचार” ऑटोमेटिक जुड़ जाएगा।
डायबिटीज से आपको मेहमानदारी में कहीं जाने पर एक विशेष महत्व मिलने लगता है। जहाँ आप जाएँगे , वह आपके सामने मिठाई की प्लेट रखेगा और कहेगा “भाई साहब ! एक पीस जरूर खाइए। कभी कभी खाने में कोई नुकसान नहीं होता। हमें बहुत अच्छा लगेगा”…. और तब ऐसे अवसरों पर आप भीतर ही भीतर आनंदित होते हुए, लेकिन ऊपर से वैराग्य- भाव प्रदर्शित करते हुए एक पीस इस अदा के साथ उठाऍंगे कि जैसे आप मिठाई प्रस्तुत करने वाले के ऊपर कोई बहुत बड़ा एहसान कर रहे हों। हॉं, इस बात की सावधानी जरूर बरतें कि एक पीस जब आप खा चुके हों, तब दूसरे पीस की तरफ ललचाई नज़रों से न देखें , वर्ना सारा नाटक मिट्टी में मिल जाएगा।
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लेखक :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश ,
मोबाइल 99976 15451