वह सिर्फ पिता होता है

पिता सिर्फ , पिता नहीं,
अपने बच्चो के पंख होता है,
उम्मीद की किरण होता है
जिसके साये में
आसमान छोटा होता है
वह सिर्फ पिता होता है।
खुद तंगी में रह कर
बच्चो का अरमान पूरा करता
खुद पैदल चल कर
बच्चो को कंधे पर घुमाता है
जीने की नयी आस दिखलाता है
वह सिर्फ पिता होता है।
गुरु, मित्र, सच्चा
मार्गदर्शक होता है
तकलीफे आयी तो
मजबूत दिवार होता है
अपने आज को मिटाकर
बच्चो को सुनहरा कल देता है
वह सिर्फ पिता होता है।
– प्रोफ दिनेश गुप्ता – आनन्द्श्री