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16 Aug 2016 · 1 min read

वक्त

ये तो वक्त -वक्त की बात है
कभी मिलता है ,तो कभी मिलाता है
कभी खा़मोश सा बैठाता है
कभी कहकहे लगवाता है
तो कभी अनायास ही रुलाता है
कभी उलझे रिश् को सुलझाता है
तो कभी खुद को खुद ही से लडाता
और , गुजरते-गुजरते
दे जाता है ज़बीं पे लकीरें कुछ
साथ में बहुत कुछ सिखा भी देता है
अच्छा -बुरा बस गुज़र ही जाता है

Language: Hindi
2 Comments · 569 Views
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