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9 Apr 2020 · 1 min read

वक्त ये कैसी इन्साफी

वक्त ये कैसी इन्साफी रिश्ते जाने कहाँ खो गये
जो अब तक बगल वो अब अनजाने से हो गये

उस प्रसूता की भी क्या कहानी जिसके पास कोई नहीं
अभी जहाँ में जो बच्चा आया गोद लेने को कोई नहीं
सोशल डिस्टेंस के देखो आज कितने पैमाने हो गये
जो अब तक बगल वो अब अनजाने से हो गये

लाँकडाउन में सब बन्द कही आना जाना नहीं
एकदूजे का बस चेहरा देखे यारों से बतराना नहीं
इक्कीस दिन में ऐसा लगे देखे बिन जमाने हो गये
जो अब तक बगल वो अब अनजाने से हो गये

मर गया इंजीनियर जब कोई न वारिस था लाश का
सद गति न मिली उसे जो ध्यान रखता हर आस का
लावारिश लाशो के ऐतिहासिकअफसाने हो गये
जो अब तक बगल वो अब अनजाने से हो गये

Language: Hindi
Tag: कविता
74 Likes · 1 Comment · 495 Views

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