वक्त (गीतिका)*
*वक्त (गीतिका)*
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(1)
पुराना वक्त अवसर याद का मेला सजाता है
पुराना वक्त लेकिन जो गया कब लौट पाता है
(2)
गुलामी वक्त की करते हुए हमने सभी पाए
कभी राजा कभी नौकर समय सबको बनाता है
(3)
यही है वक्त की खूबी कि अच्छा या बुरा जो हो
कभी धीरे कभी जल्दी गुजर यह किंतु जाता है
(4)
नहीं रहती किसी की पद-प्रतिष्ठा हर समय कायम
जरा – सा वक्त का झोंका इन्हें आकर ढहाता है
(5)
न जाने कौन था राजा ,न जाने कौन थी रानी
सुना है वक्त इनकी भी कहानी कुछ सुनाता है
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रचयिता: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.) मो. 9997615451