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17 Dec 2022 · 1 min read

वक़्त वो बे’रहम,लुटेरा है

हमने माना अभी अंधेरा है ।
पास लेकिन बहुत सवेरा है।।

मैल दिल में कोई नहीं रखना ।
दिल में रब का अगर बसेरा है ।।

छीन लेता है साथ अपनों का ।
वक़्त वो बे’रहम लुटेरा है ।।

सब मुसाफिर हैं मैं भी और तू भी।
ये जहाँ तेरा है न मेरा है ।।

जा के बैठेगी अब कहाँ तितली ।
फूल है और मेरा चेहरा है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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