Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2024 · 1 min read

वक़्त का समय

3.5.37

वक्त के दरियों में कुदने की मेरी औकात नही

रक्त के दरिया में नहाने की मेरी सोगात लगी

निश्छल भाव से किसी गैर के मन में समाया था।

रक्त रंजित तन के दाव से वो, गैर घबरा कर किसीओर मन में समायी थी।

छोड़ सकता नही अपने भाव से दोनों मुझको जान से ज्यादा प्यारे है।

बिना उनके मेरा मन तपन ताव से आहिस्ता आहिस्ता वो अपने वजूद से यूना प्यारे है ।

लिखूं कैसे भूप अल्फाज मेरे सोचते-सोचते अधूरे है।

अल्फाज आये मन मेरे अपने भाव से एखरे होगे

Language: Hindi
64 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आओ हम तुम संग चाय पीते हैं।
आओ हम तुम संग चाय पीते हैं।
Neeraj Agarwal
3392⚘ *पूर्णिका* ⚘
3392⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
पूर्वार्थ
ଆପଣ କିଏ??
ଆପଣ କିଏ??
Otteri Selvakumar
हमें पदार्थ से ऊर्जा और ऊर्जा से शुद्ध चेतना तक का सफर करना
हमें पदार्थ से ऊर्जा और ऊर्जा से शुद्ध चेतना तक का सफर करना
Ravikesh Jha
"यह कैसा दस्तूर"
Dr. Kishan tandon kranti
! विकसित भारत !!
! विकसित भारत !!
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
* ऋतुराज *
* ऋतुराज *
surenderpal vaidya
दिल तक रखते
दिल तक रखते
Dr fauzia Naseem shad
*वह भाग्यहीन हैं महिलाऍं, पति की चेरी कहलाती हैं (राधेश्यामी
*वह भाग्यहीन हैं महिलाऍं, पति की चेरी कहलाती हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
कोहरा
कोहरा
Ghanshyam Poddar
करार दे
करार दे
SHAMA PARVEEN
हम अपने मुल्क की पहचान को मिटने नहीं देंगे ।
हम अपने मुल्क की पहचान को मिटने नहीं देंगे ।
Phool gufran
"अपनी ही रचना को थोड़ी देर के लिए किसी दूसरे की मान कर पढ़िए ए
*प्रणय*
अनुभूति
अनुभूति
Punam Pande
डर
डर
अखिलेश 'अखिल'
मुझको मालूम है तुमको क्यों है मुझसे मोहब्बत
मुझको मालूम है तुमको क्यों है मुझसे मोहब्बत
gurudeenverma198
उसने  कहा जो कुछ  तो   पहले वो
उसने कहा जो कुछ तो पहले वो
shabina. Naaz
रमेशराज के चर्चित राष्ट्रीय बालगीत
रमेशराज के चर्चित राष्ट्रीय बालगीत
कवि रमेशराज
माँ अपने बेटे से कहती है :-
माँ अपने बेटे से कहती है :-
Neeraj Mishra " नीर "
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना
Anil Mishra Prahari
केशों से मुक्ता गिरे,
केशों से मुक्ता गिरे,
sushil sarna
बस तू हीं नहीं मुझसे एक बेवफ़ा हुआ...
बस तू हीं नहीं मुझसे एक बेवफ़ा हुआ...
Shweta Soni
देश की संस्कृति और सभ्यता की ,
देश की संस्कृति और सभ्यता की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
यूं इश्क़ में इतनी रवादारी भी ठीक नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जीने का हक़!
जीने का हक़!
कविता झा ‘गीत’
बूंद बूंद में प्यास है, बूंद बूंद में आस।
बूंद बूंद में प्यास है, बूंद बूंद में आस।
Suryakant Dwivedi
***वारिस हुई***
***वारिस हुई***
Dinesh Kumar Gangwar
ज़िंदगी की जंग जीतनी हो....
ज़िंदगी की जंग जीतनी हो....
Ajit Kumar "Karn"
मेरे जीवन में सबसे
मेरे जीवन में सबसे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Loading...