Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2022 · 1 min read

वकत की वेवफाई

चल पडे हम तो अकेले गुमराह मोड पर
वकत को वेवफा समझकर। ।
सोचकर मन से भूला बैठा
जो कभी अपना सपना था।।
खुद से न कभी गुज़ारिश
अपने को गैरो के जैसा समझकर।।
अपनो ने दिया जब धोखा हमको
अपनो से बेगाना समझकर। ।
ये सनम कहू क्या आप से हम
क्यो हमको अब छोडा। ।
शीशे से बदतर दिल को तोडा
जोड सकू अब में कैसे इसको।।
अपना एक हम दर्द समझकर
चल पडे हम तो अकेले गुमनाह मोडपर।।
वेवफाई का शीला तूने दिया
दर्द को दिल ने महसूस किया।।
समझकर तूने खुद को पनहा
वेपनहाई में तनहाई से जोड दिया।।
समझकर हमको अकेला हम से नाता तोड लिया
कभी बकत हमारा जागे। ।
छोडकर तुझको भागे
फिर कभी हमशे न मुलाकात होगी।।
तनहाई से हमारी बाते होगी
अब तो हमेशा यादे होगी।।
जी लूगा लहू के भी घूट पीकर
चल पडे हम तो अकेले गुमराह मोडपर।।।।

Language: Hindi
Tag: कविता
327 Views
You may also like:
शर्म
शर्म
परमार प्रकाश
बावरी बातें
बावरी बातें
Rashmi Sanjay
"युद्ध की घड़ी निकट है"
Avinash Tripathi
त'अम्मुल(पशोपेश)
त'अम्मुल(पशोपेश)
Shyam Sundar Subramanian
खप-खप मरता आमजन
खप-खप मरता आमजन
विनोद सिल्ला
बिस्तर से आशिकी
बिस्तर से आशिकी
Buddha Prakash
आईना
आईना
Saraswati Bajpai
सूरज दादा छुट्टी पर (हास्य कविता)
सूरज दादा छुट्टी पर (हास्य कविता)
डॉ. शिव लहरी
✍️रंग बदलती जिंदगी
✍️रंग बदलती जिंदगी
'अशांत' शेखर
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
सबके दामन दाग है, कौन यहाँ बेदाग ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
मीडिया की जवाबदेही
मीडिया की जवाबदेही
Shekhar Chandra Mitra
डियर जिंदगी ❤️
डियर जिंदगी ❤️
Sahil Shukla
बेवफा अपनों के लिए/Bewfa apno ke liye
बेवफा अपनों के लिए/Bewfa apno ke liye
Shivraj Anand
ढूंढते हैं मगर न जाने क्यों
ढूंढते हैं मगर न जाने क्यों
Dr fauzia Naseem shad
"कहाँ नहीं है राख?"
Dr. Kishan tandon kranti
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जमीन की भूख
जमीन की भूख
Rajesh Rajesh
कुल के दीपक
कुल के दीपक
Utkarsh Dubey “Kokil”
कर्मण्य के प्रेरक विचार
कर्मण्य के प्रेरक विचार
Shyam Pandey
हिंदी दोहा बिषय:- बेतवा (दोहाकार-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी')
हिंदी दोहा बिषय:- बेतवा (दोहाकार-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी')
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*शेर और बिल्ली (बाल कविता)*
*शेर और बिल्ली (बाल कविता)*
Ravi Prakash
साजन तेरे गाँव का, पनघट इतना दूर
साजन तेरे गाँव का, पनघट इतना दूर
Dr Archana Gupta
समय देकर तो देखो
समय देकर तो देखो
Shriyansh Gupta
# शुभ - संध्या .......
# शुभ - संध्या .......
Chinta netam " मन "
फरिश्तों या ख़ुदा तुमको,
फरिश्तों या ख़ुदा तुमको,
Satish Srijan
पीकर भंग जालिम खाई के पान,
पीकर भंग जालिम खाई के पान,
डी. के. निवातिया
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं।
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये...
Manisha Manjari
सूखे पत्तों से भी प्यार लूंगा मैं
सूखे पत्तों से भी प्यार लूंगा मैं
कवि दीपक बवेजा
गर्दिशों में तारे छुपाए बैठे हैं।
गर्दिशों में तारे छुपाए बैठे हैं।
Taj Mohammad
मुक्त परिंदे पुस्तक समीक्षा
मुक्त परिंदे पुस्तक समीक्षा
लालबहादुर चौरसिया 'लाल'
Loading...