Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2023 · 1 min read

वंदना

वीणा-वादिनि! पथ-प्रकाशिनी, उन्नति का वर दे।
हो सशक्त लेखनी सदा ही, ज्ञान सघन भर दे।।

रोली घोल भावनाओं की,धवल माथ सज दूॅं।
निज मस्तक को, चंदन-सम तव चरणों की रज दूॅं।।
गूंजें वंशी सदृश भाव, मन वृंदावन कर दे।

सत्यं, शिवम्, सुंदरम चिंतन, वंदन, मनन करूॅं।
पर उपकारी कर्म रहें निज, प्रेरक सृजन करूॅं।।
वाणी में हो ओज, भावमय झंकृत-सा स्वर दे।।

मात्र शुभंकर, स्वस्ति कल्पनाऍं मन में उपजें।
भाव अनूठे,मोहक, प्रेरक, छंदों में निखरें।
देवि! कृपामय हस्त शीश पर तू मेरे धर दे।

रश्मि लहर

Language: Hindi
2 Likes · 82 Views
You may also like:
दोहे एकादश...
दोहे एकादश...
डॉ.सीमा अग्रवाल
भ्रम का जाल
भ्रम का जाल
नन्दलाल सुथार "राही"
कहाँ छूते है कभी आसमाँ को अपने हाथ
कहाँ छूते है कभी आसमाँ को अपने हाथ
'अशांत' शेखर
Never trust people who tells others secret
Never trust people who tells others secret
Md Ziaulla
अपमान समारोह: बुरा न मानो होली है
अपमान समारोह: बुरा न मानो होली है
Ravi Prakash
नज़र नज़र का फर्क है साहेब...!!
नज़र नज़र का फर्क है साहेब...!!
Vishal babu (vishu)
मेरे भी थे कुछ ख्वाब,न जाने कैसे टूट गये।
मेरे भी थे कुछ ख्वाब,न जाने कैसे टूट गये।
Surinder blackpen
ओ मुसाफिर, जिंदगी से इश्क कर
ओ मुसाफिर, जिंदगी से इश्क कर
Rajeev Dutta
फुटपाथ
फुटपाथ
Prakash Chandra
पेशावर की मस्जिद में
पेशावर की मस्जिद में
Satish Srijan
2288.पूर्णिका
2288.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मुक्तक
मुक्तक
Er.Navaneet R Shandily
पहाड़ों की हंसी ठिठोली
पहाड़ों की हंसी ठिठोली
Shankar J aanjna
जिस रास्ते के आगे आशा की कोई किरण नहीं जाती थी
जिस रास्ते के आगे आशा की कोई किरण नहीं जाती थी
कवि दीपक बवेजा
" भुला दिया उस तस्वीर को "
Aarti sirsat
ना कोई संत, न भक्त, ना कोई ज्ञानी हूँ,
ना कोई संत, न भक्त, ना कोई ज्ञानी हूँ,
डी. के. निवातिया
आज फिर जिंदगी की किताब खोली
आज फिर जिंदगी की किताब खोली
rajeev ranjan
💐अज्ञात के प्रति-11💐
💐अज्ञात के प्रति-11💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
Anil chobisa
मैथिली साहित्य मे परिवर्तन से आस जागल।
मैथिली साहित्य मे परिवर्तन से आस जागल।
Acharya Rama Nand Mandal
"अंतिम-सत्य..!"
Prabhudayal Raniwal
डिजिटलीकरण
डिजिटलीकरण
Seema gupta,Alwar
#लघुकथा / #सम्मान
#लघुकथा / #सम्मान
*Author प्रणय प्रभात*
✍️ख्वाहिशें जिंदगी से ✍️
✍️ख्वाहिशें जिंदगी से ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
कालजई रचना
कालजई रचना
Shekhar Chandra Mitra
आम का मौसम
आम का मौसम
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कवित्त छंद ( परशुराम जयंती )
कवित्त छंद ( परशुराम जयंती )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
कुछ मज़ा ही नही,अब जिंदगी जीने मैं,
गुप्तरत्न
बार बार दिल तोड़ा तुमने , फिर भी है अपनाया हमने
बार बार दिल तोड़ा तुमने , फिर भी है अपनाया हमने
Dr Archana Gupta
चुपके से तेरे कान में
चुपके से तेरे कान में
Dr fauzia Naseem shad
Loading...