Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2020 · 3 min read

लड़की और समाज

सुनो!
क्या कर रही हो?
इधर आओ खाना देने पिता जी को जाना हैं।अंदर से चीरती हुई आवाज आ रही थी ।
माँ आ रही हू!
बाहर खेलते हुए किरन ने आवाज अपनी माँ को दी।
किरन बारह साल की बच्ची हैं जो कि अपने घर में तीन भाई बहनों में सबसे छोटी थी।लेकिन घर के हालात ठीक नही थे।
किरन के पिता किसान थे और माँ गृहणी थी जो घर के काम काज में व्यस्त रहते थी।
घर के काम काज में माँ किरन को लगाये रहती थी।और किरन के दोनों भाई पिता के साथ खेती में हाथ बटाते रहते थे।
किरन और उसके भाई पास के ही एक प्राथमिक शाला में पढ़ते थे।दोनो भाई पाठशाला जाते थे,लेकिन किरन की माँ किरन को अक्सर रोक लेती थी।ये समाज की मानसिकता जिसमे लड़कियों को स्कूल जाने से रोकता रहता हैं, हमेसा मन में भय का भाव रहता हैं।वह अपने माँ से हमेशा जिद्द करती रहती स्कूल जाने के लिए।भाई जब स्कूल से आते तो वह उनकी किताबो को सुनती और उन्हें सुनती मन में हमेशा सीखने और पढ़ने की ललक रहती।किरन के भाई एक दिन किरन को स्कूल ले जाते हैं, वो कक्षा में बैठे हुए थे।पास में किरन भी बैठी हुई थी।स्कूल के एक अध्यापक जब कक्षा में आते हैं तो जब वह किरन को देखते हैं तो पूछते है किसके साथ हैं ये!सर मेरे साथ ऐसा कह कर किरन का भाई ने उन्हें बताया!स्कूल के अध्यापक किरन के भाई को अपने पिता जी को स्कूल आने के लिए कहते हैं!घर पर सब किस्सा अपने पिता को किरन का भाई बताता हैं!किरन का पिता जिसका नाम हरिया था,वह किरन का भाई जिसका नाम हरीश था!उसे खूब डाँटता हैं!अगले दिन स्कूल जाता हैं।
स्कूल पहुच कर वह अध्यापक से बात करता हैं!अध्यापक किरन का नाम स्कूल में लिखवाने के लिए कहता हैं, कि किरन बहुत ही होनहार लड़की हैं उसका नाम लिखवा दे,जिससे वह पढ़ लिख कर एक अच्छी नागरिक बन सके और अपने घर परिवार का नाम रोशन कर सके!हरिया अध्यापक को कहता हैं की किरन पढ़ लिखकर क्या करेगी,आखिर में उसकी शादी हो जानी हैं, वह पढ़ लिखकर क्या करेगी?
ऐसा कहकर वह किरन को ले जाने लगता हैं।
अध्यापक हरिया को खूब समझाता हैं, और उसे पढ़ने के लिए कहता हैं!अंत में हरिया किरन का दाखिला करवा देता हैं स्कूल में और वह भी अपने भाइयो के साथ स्कूल आने लगती हैं।
किरन अब प्रतिदिन स्कूल आने लगती हैं, लेकिन कभी कभी उसके घर के उसको रोक लेते।इस वजह से उसे बहुत परेशानी होती और वह बाकी बच्चों से पीछे हो जाती।।किरन एक हाशियार लड़की होती हैं, उसके कक्षा की बाकी लडकिया उसे परेसान करने लगी थी।
किरन स्वाभाव से शर्मीली होने के कारन न अपने घर पर ना ही अधयापक से कुछ कह पा रही थी
अपने भाइयो से भी कुछ ना कहा।लेकिन धीरे धीरे सब सामान्य हो गया वह पढ़ती रही।जब थोड़ी बड़ी हुई और वह गांव में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद गाँव से बाहर जाना था,उसके पिता ने उसकी शादी कंही करने की कोशिश प्रारम्भ कर दी।वही किरन ने विद्रोह कर दिया कि उसे आगे पढ़ना हैं, अव किरन के भाई उसका समर्थन में थे,और वो भी आगे पढ़ने के लिए उसे बाहर ले जाना चाहते थे!समाज के लोग और गाँव के लोग इसके विरोध में हो गए !सब अपने अपने तरीके से बाते बना रहे रहे थे!वह सोच रहे थे कि कंही अकेले लड़की कैसे बहार रहेगी!लेकिन किरन ने हिम्मत नही हारी ना ही उसके भाइयो ने !अंत में उसके भाइयो ने अपनी माँ को भी अपने समर्थन में ले लिया!अब माँ भी किरन को पढ़ने के लिए भेजना चाहती थी!लेकिन परेशानी इस बात की थी हरिया जो की किरन के पिता एक किसान थे!गरीब थे!पैसे कंहा से आते!वही समस्या लेकिन मरता क्या ना करता!
किरन अपनी जिद्द में थी!अंत में किरन का दाखिला शहर में करवा देते है!किरन अपने पढाई में मग्न थी और वह ध्यान,लग्न से पढाई करते हुए एक कलेक्टर बन जाती हैं और वह अपने भाई माँ पिता का नाम रोशन करती हैं।
और समाज की आँखे खोलती हैं कि लड़कियों पर भरोसा किया जाए लड़कियां कभी गलत नही होती नही होती हैं! वो चूल्हा चौका के लिए पैदा नही हुई हैं!उन्हें बराबर मौका दिया जाए तो वो समाज परिवार देश सबका नाम रोशन करती हैं।

~आकिब जावेद

Language: Hindi
Tag: कहानी
1 Like · 2 Comments · 421 Views

Books from Akib Javed

You may also like:
श्रीजन के वास्ते आई है धरती पर वो नारी है।
श्रीजन के वास्ते आई है धरती पर वो नारी है।
Prabhu Nath Chaturvedi
*धूप में रक्त मेरा*
*धूप में रक्त मेरा*
सूर्यकांत द्विवेदी
"तस्वीर"
Dr. Kishan tandon kranti
■ एक नारा, एक दोहा-
■ एक नारा, एक दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
“प्रतिक्रिया, समालोचना आ टिप्पणी “
“प्रतिक्रिया, समालोचना आ टिप्पणी “
DrLakshman Jha Parimal
*सीमा*
*सीमा*
Dr Rajiv
हुआ बुद्ध धम्म उजागर ।
हुआ बुद्ध धम्म उजागर ।
Buddha Prakash
मूर्दों का देश
मूर्दों का देश
Shekhar Chandra Mitra
मेरी कमज़ोरी अब नहीं कोई
मेरी कमज़ोरी अब नहीं कोई
Dr fauzia Naseem shad
माँ महागौरी
माँ महागौरी
Vandana Namdev
जिन्दगी ने किया मायूस
जिन्दगी ने किया मायूस
Anamika Singh
सबको नित उलझाये रहता।।
सबको नित उलझाये रहता।।
Rambali Mishra
है सुकूँ  से भरा  एक  घर  ज़िन्दगी
है सुकूँ से भरा एक घर ज़िन्दगी
Dr Archana Gupta
You can't AFFORD me
You can't AFFORD me
Vandana maurya
Writing Challenge- प्रेम (Love)
Writing Challenge- प्रेम (Love)
Sahityapedia
वतन हमारा है, गीत इसके गाते है।
वतन हमारा है, गीत इसके गाते है।
सत्य कुमार प्रेमी
सफ़र
सफ़र
Er.Navaneet R Shandily
समय पर संकल्प करना...
समय पर संकल्प करना...
Manoj Kushwaha PS
बर्बादी की दुआ कर गए।
बर्बादी की दुआ कर गए।
Taj Mohammad
चल सजना प्रेम की नगरी
चल सजना प्रेम की नगरी
Sunita jauhari
रंग बरसे
रंग बरसे
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
मुक्तक
मुक्तक
Dr. Girish Chandra Agarwal
सुना है सपने सच होते हैं।
सुना है सपने सच होते हैं।
Shyam Pandey
अनमोल घड़ी
अनमोल घड़ी
Prabhudayal Raniwal
चाहत
चाहत
जय लगन कुमार हैप्पी
आखिरी उम्मीद
आखिरी उम्मीद
Surya Barman
*नश्वर यह देह जगत् सारा, मन में यह बारंबार रहे (घनाक्षरी)*
*नश्वर यह देह जगत् सारा, मन में यह बारंबार रहे...
Ravi Prakash
आंख से आंख मिलाओ तो मजा आता है।
आंख से आंख मिलाओ तो मजा आता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
💐अज्ञात के प्रति-8💐
💐अज्ञात के प्रति-8💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कितना सकून है इन , इंसानों  की कब्र पर आकर
कितना सकून है इन , इंसानों की कब्र पर आकर
श्याम सिंह बिष्ट
Loading...