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19 Aug 2021 · 1 min read

लौट आ

मत जाओ साजन
महीना यह सावन
हर बौर खिला रही
मौसम है मन भावन

ज्यों-ज्यो गगन में
बदली घिर जाये
घन काले यूँ डराये
डरा कर घबराये

घन घोर घटाएँ घिरे
मन पीऊ पीऊ नाचे
पीऊ बसा जिय में
वारि नीर में भीजू मैं

चमक चमक बिजुली
हिय को धड़का दे
कंत की याद दिलाये
पागल मुझे बना देस

ज्यों धार मूसल पड़े
त्यों विरह को जगाये
हाल ऐसो है जियो
कोई तो पिया बुलाये

धक -धक करे जिय
इक बार तो आ प्रिय
नैन बसा लूँगी मैं तुझे
उर समा लूँगी मैं तुझे

डॉ मधु त्रिवेदी

Language: Hindi
Tag: कविता
78 Likes · 1 Comment · 301 Views

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