लोगों के रंग

लोगों के ये ढंग,देख कर रह गई दंग।
बातें करें बड़ी बड़ी,चले ना कोई संग।
अपना काम निकाल,भूल जाते हैं लोग
उस पर ही फिर ये,कसते फिरे व्यंग।
दम अपने पर चल ,रख न कोई आस
सहारा देने वाले ही ,कर देते अपंग।
छू ले अपना आसमां, बांहों को फैला
लूट लेंगे दुनिया वाले,बन न कटी पतंग।
बैठ न हार कर तू,खुद लड़ अपनी जंग
हाथ जोड़ना छोड़,बन जा तू दबंग।
सुरिंदर कौर