लॉकडाउन गीतिका

*जाने वह आएँगे कब( गीतिका )*
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( *1* )
दावतों के जो मजे थे जाने वह आएँगे कब
पार्टियों में मिल के सबके साथ हम खाएँगे कब
( *2* )
मोबाइलों पर गोष्ठियों सम्मेलनों की बाढ़ है
गंध से माहौल छूकर जाने हम गाएँगे कब
( *3* )
मास्क कपड़ों की तरह हर पल पहनना पड़ रहा है
हम कहीं बाहर बिना ही मास्क जा पाएँगे कब
( *4* )
पूछते हैं बच्चे पापा इतने दिन तो हो गए
मॉल में जाकर सिनेमा हम को दिखलाएँगे कब
( *5* )
बीस लोगों में अधिकतम तीजे-दसवें हो रहे
शोक में अपनों के आँसू लोग ढुलकाएँगे कब
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*रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
*मोबाइल* 99976 15451