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19 Mar 2024 · 1 min read

लेशमात्र भी शर्म का,

लेशमात्र भी शर्म का,
नहीं नैन में अंश ।
नवयुग की है सभ्यता ,
संस्कारों पर दंश ।।

सुशील सरना / 19-3-24

107 Views
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