Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2024 · 1 min read

लेकिन क्यों

लेकिन क्यों
जब शब्द लिखने को थे
तव पास कलम नही था
जब कलम पास आया
तव बक्त नही था
जब वक्त भी मिला
तब शब्द नही थे।
वस यही उलझन लगी रही
इसे सुलझाते -सुलझाते उम्र बीत गई
पर यह उलझन न सुलझ पाई
अब कलम भी है पास
वक्त और शब्द भी है
परन्तु आलस और थकान भी
जिससे अब हाथ नही चलते
पहले स्वाधीन था
अब पराधीन हूँ
पहले वक्त के लिए रोता था
अब वक्त के कारण रोता हूँ
क्या यही ज़िन्दगी है
जिसके लिए हम दौड़ते रहे
सच मान ने सके
झूठ छोड न सके
फिर भी हाथ कुछ न आया
मुट्ठी बांधकर आये थे
और खोल कर चले जायेगे
सब जानते है
पर मानते नही
लेकिन क्यों————–?
दिनेश कुमार गंगवार

Language: Hindi
1 Like · 98 Views
Books from Dinesh Kumar Gangwar
View all

You may also like these posts

इजाजत
इजाजत
Ruchika Rai
जैसा सोचा था वैसे ही मिला मुझे मे बेहतर की तलाश मे था और मुझ
जैसा सोचा था वैसे ही मिला मुझे मे बेहतर की तलाश मे था और मुझ
Ranjeet kumar patre
"नहीं देखने हैं"
Dr. Kishan tandon kranti
Excited.... इतना भी मत होना,
Excited.... इतना भी मत होना,
पूर्वार्थ
पानी ही पानी
पानी ही पानी
TARAN VERMA
10/20 कम हैं क्या
10/20 कम हैं क्या
©️ दामिनी नारायण सिंह
शीर्षक - स्नेह
शीर्षक - स्नेह
Sushma Singh
डीजे
डीजे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
फूलों के साथ महक का सच हैं।
फूलों के साथ महक का सच हैं।
Neeraj Agarwal
राधे राधे बोल
राधे राधे बोल
D.N. Jha
मुंतज़िर
मुंतज़िर
Shyam Sundar Subramanian
कभी-कभी अकेला होना
कभी-कभी अकेला होना
Chitra Bisht
महामानव पंडित दीनदयाल उपाध्याय
महामानव पंडित दीनदयाल उपाध्याय
Indu Singh
कविता
कविता
Nmita Sharma
दुमदार दोहे
दुमदार दोहे
seema sharma
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
अरमान
अरमान
Kanchan Khanna
वर्षा
वर्षा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
2979.*पूर्णिका*
2979.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
न रूह की आवाज उसतक पहुंच पाई,
न रूह की आवाज उसतक पहुंच पाई,
Kanchan Alok Malu
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
अपूर्ण नींद और किसी भी मादक वस्तु का नशा दोनों ही शरीर को अन
Rj Anand Prajapati
इश्क़ हो जाऊं
इश्क़ हो जाऊं
Shikha Mishra
*
*"विपक्ष का वेल में" और
*प्रणय*
मौत के डर से सहमी-सहमी
मौत के डर से सहमी-सहमी
VINOD CHAUHAN
गर जानना चाहते हो
गर जानना चाहते हो
SATPAL CHAUHAN
बेफिक्री
बेफिक्री
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
ज़मीं पर जीने की …
ज़मीं पर जीने की …
sushil sarna
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मित्रता
मित्रता
Shashi Mahajan
Loading...