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19 Feb 2023 · 1 min read

लीकछोड़ ग़ज़ल / MUSAFIR BAITHA

धर्म से लगकर कोई साफ शफ्फाफ रचना हो नहीं सकती।
सड़े कीचड़ के सहारे कोई काम की चीज़ धुलती है क्या?

धर्म का उपजीव्य है भीख जिसे दान या चंदा कहते हैं!
इस तुच्छ भीख के रंदे के बिना कोई धर्म चमका है क्या?

धर्म नशाकारी है अफीम जो, धर्म भीरू अभीरू सब जानते हैं
कैंसरकारक है धूम्रपान, लिखे होने से तम्बाकू सेवन कोई छोड़ता है क्या?

धर्म लहलहाती खेती है, नादानों एवं परजीवियों के लिए खास
हर्रे लगे न फिटकरी रंग चोखा हो जाए सा, गलत कहा क्या?

सुंदर सहज बनेगा समाज संविधान में विहित नागरिक कर्तव्यों को बरतने से
धार्मिक अधिकारों के लिए मचलने से पहले, कर्तव्यों की फेहरिश्त वहाँ जांची क्या?

~|© मुसाफिर बैठा

Language: Hindi
1 Like · 294 Views
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