Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Mar 2024 · 1 min read

#लिख_के_रख_लो।

#लिख_के_रख_लो।

2 Likes · 139 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
बाल दिवस विशेष- बाल कविता - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
कई बात अभी बाकी है
कई बात अभी बाकी है
Aman Sinha
मृदा प्रदूषण घातक है जीवन को
मृदा प्रदूषण घातक है जीवन को
Buddha Prakash
आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है
आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है
SURYA PRAKASH SHARMA
दोहा पंचक. . . ख्वाब
दोहा पंचक. . . ख्वाब
Sushil Sarna
4801.*पूर्णिका*
4801.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विचलित
विचलित
Mamta Rani
स्वीकारा है
स्वीकारा है
Dr. Mulla Adam Ali
कभी हमसे पुछिए
कभी हमसे पुछिए
Vivek saswat Shukla
■ प्रणय के मुक्तक
■ प्रणय के मुक्तक
*प्रणय*
भगण के सवैये (चुनाव चक्कर )
भगण के सवैये (चुनाव चक्कर )
guru saxena
उलझ गई है दुनियां सारी
उलझ गई है दुनियां सारी
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
लब पे ख़ामोशियों के पहरे थे
लब पे ख़ामोशियों के पहरे थे
Dr fauzia Naseem shad
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
"राज़-ए-इश्क़" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
- मुझको बचपन लौटा दो -
- मुझको बचपन लौटा दो -
bharat gehlot
मां! बस थ्हारौ आसरौ हैं
मां! बस थ्हारौ आसरौ हैं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
"घूंघट नारी की आजादी पर वह पहरा है जिसमे पुरुष खुद को सहज मह
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
गीत
गीत
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
उदास रातें बुझे- बुझे दिन न खुशनुमा ज़िन्दगी रही है
उदास रातें बुझे- बुझे दिन न खुशनुमा ज़िन्दगी रही है
Dr Archana Gupta
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
कवि रमेशराज
आग पानी में लगाते क्यूँ हो
आग पानी में लगाते क्यूँ हो
Shweta Soni
"कंचे का खेल"
Dr. Kishan tandon kranti
*जीवन समझो एक फुलझड़ी, दो क्षण चमक दिखाती (हिंदी गजल)*
*जीवन समझो एक फुलझड़ी, दो क्षण चमक दिखाती (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
गुरु रत्न सम्मान हेतु आवेदन आमंत्रित हैं
गुरु रत्न सम्मान हेतु आवेदन आमंत्रित हैं
Mukesh Kumar Rishi Verma
*THe Glorious is Humble*
*THe Glorious is Humble*
Veneeta Narula
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
Manisha Manjari
जीने केक् बहाने
जीने केक् बहाने
Sudhir srivastava
Solitary Seat
Solitary Seat
Meenakshi Madhur
सती सुलोचना
सती सुलोचना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...