लघु गीत ::: वत्स ! तुम्हारे ह्रदय- क्षेत्र में ( पोस्ट २५)
लघु गीत : वत्स ! तुम्हारे ह्रदय-क्षेत्र में
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वत्स ! तुम्हारे ह्रदय- क्षेत्र में
बीज प्रेम के जो बोता है ,
उसका जब तक मर्म न जाना,
गुरु- मंत्रों का अर्थ न जाना ,
चक्र सदा घूमेगा तब तक ;
अनासक्त यदि कर्म न जाना ।
निराकार साकार सदा ही –.
खुले कपाटों से होता है ।।
***,******* जितेन्द्र कमल आनंद