Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2023 · 1 min read

#लघुकथा / #एकता

■ एकता-प्रेमी नेताजी
【प्रणय प्रभात】
जनाब दिन-रात “एकता” के गीत गाते थे। उनकी कोई बात “एकता” के बिना पूरी नहीं होती थी। उनके इस “एकता प्रेम” के चर्चे समूचे शहर में थे। इन्हीं के दम पर उन्हें एक दल द्वारा नगर-पालिका चुनाव के मैदान में उतार दिया गया। सातों जात, सभी समाज उनके समर्थन में दिखे। एतजी भारी बहुमत से अध्यक्ष बन गए। किसी को कोई अचरज नहीं था।
ग़ज़ब तो तब हुआ जब एक पत्रकार ने प्रचंड जीत के आधार बने उनके “एकता-प्रेम” के बारे में उनकी बूढ़ी माँ से सवाल पूछ लिया। महज दूसरे दर्जे तक पढ़ी हुई माँ ने बेबाक भोलेपन से जवाब भी दे दिया। तब जाकर सारे शहर को पता चला कि “एकता” उनके पिछवाड़े रहने वाली एक लड़की थी। जिस पर उनका लाल बचपन से फ़िदा था। अब तमाम एकता-पसंद सदमे में हैं। पूरे पाँच सालों के लिए ठगे जाने के बाद।
😍😦😍😦😍😦😍😦😍
★प्रणय प्रभात★
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 79 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नादां दिल
नादां दिल
Pratibha Kumari
बचपन
बचपन
नन्दलाल सुथार "राही"
✍️वो भुला क्यूँ है✍️
✍️वो भुला क्यूँ है✍️
'अशांत' शेखर
Shayri
Shayri
श्याम सिंह बिष्ट
ये राज़ किस से कहू ,ये बात कैसे बताऊं
ये राज़ किस से कहू ,ये बात कैसे बताऊं
Sonu sugandh
मन की पीड़ा
मन की पीड़ा
Dr fauzia Naseem shad
***
*** " चिड़िया : घोंसला अब बनाऊँ कहाँ....??? " ***
VEDANTA PATEL
कुण्डलिया
कुण्डलिया
शेख़ जाफ़र खान
यादों का थैला लेकर चले है
यादों का थैला लेकर चले है
Harminder Kaur
लहरे बहुत है दिल मे दबा कर रखा है , काश ! जाना होता है, समुन
लहरे बहुत है दिल मे दबा कर रखा है , काश ! जाना होता है, समुन
Rohit yadav
तू एक बार लडका बनकर देख
तू एक बार लडका बनकर देख
Abhishek Upadhyay
आवत हिय हरषै नहीं नैनन नहीं स्नेह।
आवत हिय हरषै नहीं नैनन नहीं स्नेह।
sheelasingh19544 Sheela Singh
"इंसान हो इंसान"
Dr. Kishan tandon kranti
दुनिया को बचाइए
दुनिया को बचाइए
Shekhar Chandra Mitra
अहमियत
अहमियत
Dushyant Kumar
गांधीवादी (व्यंग्य कविता)
गांधीवादी (व्यंग्य कविता)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मन ही बंधन - मन ही मोक्ष
मन ही बंधन - मन ही मोक्ष
Rj Anand Prajapati
जब गुलशन ही नहीं है तो गुलाब किस काम का /लवकुश यादव
जब गुलशन ही नहीं है तो गुलाब किस काम का /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
💐प्रेम कौतुक-250💐
💐प्रेम कौतुक-250💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भूख
भूख
डॉ.श्री रमण 'श्रीपद्'
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
ज़िन्दगी रोज़ मेरी ऐसे बदलती है यहाँ
ज़िन्दगी रोज़ मेरी ऐसे बदलती है यहाँ
Shivkumar Bilagrami
आरज़ू है बस ख़ुदा
आरज़ू है बस ख़ुदा
Dr. Pratibha Mahi
किसी दिन
किसी दिन
shabina. Naaz
फितरत
फितरत
Bodhisatva kastooriya
*होली के दिन घर गया, भालू के खरगोश (हास्य कुंडलिया)*
*होली के दिन घर गया, भालू के खरगोश (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ईश्वर का घर
ईश्वर का घर
Dr MusafiR BaithA
चक्रव्यूह की राजनीति
चक्रव्यूह की राजनीति
Dr Parveen Thakur
"आज मग़रिब से फिर उगा सूरज।
*Author प्रणय प्रभात*
उपहार उसी को
उपहार उसी को
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Loading...