Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2023 · 2 min read

इशारा दोस्ती का

नई नौकरी पाई अनुभा के मुम्बई की द्रुत गति से भागता जीवन भा रहा था। अध्धयन के दौरान घर और हास्टल की सीमित दिनचर्या के बाद बहते दरिया का सीधे सागर मे समा जाने जैसे था। मुम्बई जैसे महासागर को खोजने , जानने और तालमेल बैठाने मे आनंद की प्राप्ति हो रही थी। एक कमरे के छोटे से एपार्टमेंट मे रात गुजारना और बारह घंटे की एनालिस्ट की नौकरी करने मे उसे अपना होना सार्थक लग रहा था। आधे घंटे लोकल ट्रेन का सफर लोगो के चेहरे पढते गुजर जाते। एक दिन ट्रेन मे खडे खडे सफर कर रही थी। थोडी दूर पर खडे दो उज्जड से दिखने वाले युवको की वहशी घूरती आंखे महसूस हुई। वो बहुत असहज हो रही थी। वो वंहा से हट कर कंही ओर जगह खडे होने के लिए नजर घुमा ही रही थी कि एक लडकी उसके बगल मे आकर खडी हो गई। उसके हाथ मे एक बडा हैंडबैग था। कलाई पर लटके बैग से जब उस लडकी ने रैलिंग को पकडा तो अनुभा का पूरा चेहरा घूरती आंखो से पूरी तरह सुरक्षित हो चुका था। मंद मुस्कान से शुक्रिया करते हुए अपना स्टाप आने पर अनुभा ने विदा ली। कुछ ही दिन बाद आफिस से लौटते समय वो ही लडकी खडी मिली जो असहज हो दो स्थान बदल कर भी चैन नही पा रही थी। अनुभा तुरंत उसकी निकट गई और अपनी पीठ से परेशान करती वासनामयी दृष्टि का अवरोध बन खडी हो गई। इस बार दोनो लडकियों की मुस्कान पूरे यौवन पर थी जो नई दोस्ती की शुरूआत भर थी।
संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर

4 Likes · 169 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
Books from Sandeep Pande
View all
You may also like:
*मय या मयखाना*
*मय या मयखाना*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जज़्बात-ए-दिल
जज़्बात-ए-दिल
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आसान नहीं होता है पिता बन पाना
आसान नहीं होता है पिता बन पाना
Poetry By Satendra
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
Sakshi Tripathi
भगत सिंह ; जेल डायरी
भगत सिंह ; जेल डायरी
Gouri tiwari
संसद बनी पागलखाना
संसद बनी पागलखाना
Shekhar Chandra Mitra
क्या रह गया है अब शेष जो
क्या रह गया है अब शेष जो
gurudeenverma198
हम मुस्कुराकर बड़े ही शौक से दे देंगे।
हम मुस्कुराकर बड़े ही शौक से दे देंगे।
Taj Mohammad
अपनी तस्वीरों पर बस ईमोजी लगाना सीखा अबतक
अपनी तस्वीरों पर बस ईमोजी लगाना सीखा अबतक
ruby kumari
वक्त वक्त की बात है ,
वक्त वक्त की बात है ,
Yogendra Chaturwedi
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
" जिन्दगी क्या है "
Pushpraj Anant
उपहार
उपहार
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
बेटियाँ
बेटियाँ
Neha
नफरत के कांटे
नफरत के कांटे
shabina. Naaz
बैठा ड्योढ़ी साँझ की, सोच रहा आदित्य।
बैठा ड्योढ़ी साँझ की, सोच रहा आदित्य।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ख़्वाब
ख़्वाब
Gaurav Sharma
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा🇮🇳
संविधान ग्रंथ नहीं मां भारती की एक आत्मा🇮🇳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
*हमेशा खून के रिश्ते की, आहट याद आएगी (हिंदी गजल/गीतिका)*
*हमेशा खून के रिश्ते की, आहट याद आएगी (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
*
*"आदिशक्ति जय माँ जगदम्बे"*
Shashi kala vyas
ईनाम
ईनाम
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
💐प्रेम कौतुक-524💐
💐प्रेम कौतुक-524💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अहंकार का एटम
अहंकार का एटम
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
तुम महकोगे सदा मेरी रूह के साथ,
तुम महकोगे सदा मेरी रूह के साथ,
Shyam Pandey
कैसे भुल जाऊ उस राह को जिस राह ने मुझे चलना सिखाया
कैसे भुल जाऊ उस राह को जिस राह ने मुझे चलना सिखाया
Shakil Alam
यह सिर्फ़ वर्दी नहीं, मेरी वो दौलत है जो मैंने अपना खून और पसीना बहा के हासिल की है। This is not just my uniform but my wealth which I have earned by shedding my blood and sweat..!
यह सिर्फ़ वर्दी नहीं, मेरी वो दौलत है जो मैंने अपना खून और पसीना बहा के हासिल की है। This is not just my uniform but my wealth which I have earned by shedding my blood and sweat..!
Lohit Tamta
वेदनामृत
वेदनामृत
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
यकीन कैसा है
यकीन कैसा है
Dr fauzia Naseem shad
शाश्वत सत्य की कलम से।
शाश्वत सत्य की कलम से।
Manisha Manjari
Loading...