Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2023 · 1 min read

*रेवड़ी आराम से, अपनों को बाँटी जा रही (मुक्तक)*

रेवड़ी आराम से, अपनों को बाँटी जा रही (मुक्तक)
_________________________
छल फरेबों से भरे, उनके हृदय तो देखिए
रिक्तियों से पूर्व ही, सब नाम तय तो देखिए
रेवड़ी आराम से, अपनों को बाँटी जा रही
दीखता हर कोई है, कितना अभय तो देखिए
________________________
रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो. 99976 1945

Language: Hindi
76 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
ऋतुराज बसंत
ऋतुराज बसंत
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
हनुमान जी वंदना ।। अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो ।।
हनुमान जी वंदना ।। अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो ।।
Kuldeep mishra (KD)
एक तू ही है जिसको
एक तू ही है जिसको
gurudeenverma198
~रेत की आत्मकथा ~
~रेत की आत्मकथा ~
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
महाराणा सांगा
महाराणा सांगा
Ajay Shekhavat
अब हम बहुत दूर …
अब हम बहुत दूर …
DrLakshman Jha Parimal
जिसमें सुर-लय-ताल है
जिसमें सुर-लय-ताल है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
किस क़दर आसान था
किस क़दर आसान था
हिमांशु Kulshrestha
राम बनना कठिन है
राम बनना कठिन है
Satish Srijan
मिलना था तुमसे,
मिलना था तुमसे,
shambhavi Mishra
स्वीटी: माय स्वीट हार्ट
स्वीटी: माय स्वीट हार्ट
Shekhar Chandra Mitra
बारिश और उनकी यादें...
बारिश और उनकी यादें...
Falendra Sahu
जयंत (कौआ) के कथा।
जयंत (कौआ) के कथा।
Acharya Rama Nand Mandal
आपकी याद हो
आपकी याद हो
Dr fauzia Naseem shad
■ ग़ज़ल / बात बहारों की...!!
■ ग़ज़ल / बात बहारों की...!!
*Author प्रणय प्रभात*
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
अक्टूबर मे ढमढम (बाल कविता)
अक्टूबर मे ढमढम (बाल कविता)
Ravi Prakash
शुभकामना संदेश
शुभकामना संदेश
Rajni kapoor
मन की उलझने
मन की उलझने
Aditya Prakash
💐अज्ञात के प्रति-152💐
💐अज्ञात के प्रति-152💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मन की किताब
मन की किताब
Neeraj Agarwal
खुद से उम्मीद लगाओगे तो खुद को निखार पाओगे
खुद से उम्मीद लगाओगे तो खुद को निखार पाओगे
ruby kumari
# शुभ - संध्या .......
# शुभ - संध्या .......
Chinta netam " मन "
दर्द की कश्ती
दर्द की कश्ती
DESH RAJ
तुझसे बिछड़ने के बाद
तुझसे बिछड़ने के बाद
Surinder blackpen
नन्हीं बाल-कविताएँ
नन्हीं बाल-कविताएँ
Kanchan Khanna
गैर का होकर जिया
गैर का होकर जिया
Dr. Sunita Singh
गर बुरा लगता हूं।
गर बुरा लगता हूं।
Taj Mohammad
अम्मा जी
अम्मा जी
Rashmi Sanjay
Loading...